तीन तलाक पर बिल लोकसभा मे पारित
मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्दत पर रोक लगाने के मकसद से लाया गया ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ लोकसभा से पारित हो गया है। दिन भर चली चर्चा के बाद शाम को इस पर मतदान हुआ, जिसके बाद इसे पारित कर दिया गया।
इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को चर्चा एवं पारित कराने के लिए लोकसभा में रखा। कानून मंत्री ने इसे महिलाओं के न्याय एवं सम्मान का विषय करार देते हुए कहा कि इसे राजनीति के तराजू पर तौलने की बजाय इंसाफ के तराजू पर तौलते हुए पूरे संसद को सर्वसम्मति में इसे पारित करना चाहिए।
विधेयक में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से संरक्षण प्रदान करने के साथ-साथ ऐसे मामलों में दंड का भी प्रावधान किया गया है। कानून मंत्री ने बताया कि जनवरी 2017 के बाद से तीन तलाक के 417 वाकये सामने आए हैं। चर्चा के दौरान बीजेपी की ओर से जोरदार तरीके से बिल का समर्थन किया गया और बिल को पास न कराने के लिए विपक्ष पर जमकर हमला बोला गया।
वहीं विपक्ष की ओर से भी तमाम सांसदों ने अपनी बात रखी और विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
सरकार का कहना है कि इस विधेयक के माध्यम से विवाहित मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक न्याय और लैंगिक समानता दिए जाने के साथ ही भेदभाव रोकने और मूलभूत अधिकार प्रदान करना सुनिश्चित हो सकेगा।
2017 के विधेयक की तरह ही त्वरित तीन तलाक गैर जमानती रहेगा लेकिन अब संशोधन के बाद मजिस्ट्रेट से जमानत मिलने का प्रावधान होगा। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार तीन तलाक मामले में दर्ज प्राथमिकी तभी संज्ञेय होगी जब उसे पत्नी या उसका कोई रिश्तेदार दर्ज कराएगा।पति-पत्नी से बातचीत कर मजिस्ट्रेट मामले में समझौता करा सकता है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार में तीन तलाक को ‘असंवैधानिक और गैरकानूनी’ करार दिया था।इसके बाद सरकार इस पर विधेयक ले कर आई। ये विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका। जब विधेयक राज्यसभा में लंबित था और तीन तलाक के मामले सामने आ रहे थे तब सरकार इस मामले में अध्यादेश लेकर आई थी।19 सितंबर 2018 को मुस्लिम विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 लागू किया गया। अब संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर राज्यसभा में लंबित तीन तलाक संबंधित विधेयक में संशोधन कर सरकार इसे दोबारा लोकसभा में लाई, जिसे पास कर दिया गया लेकिन अब बिल की असली चुनौती राज्यसभा से पास कराना है, जहां वो पहले भी अटक गया था।