प्रधानमंत्री ने बोगीबील सेतु राष्‍ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज असम में बोगीबील सेतु राष्‍ट्र को समर्पित किया। यह सेतु असम के डिब्रूगढ़ और धेमाजी जिलों के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर निर्मित है। आर्थिक और सामरिक दृष्टि से राष्‍ट्र के लिए इसका अत्‍यधिक महत्‍व है। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्‍तरी  तट पर कारेंग चापोरी में एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने इस पुल को पार करने वाली सबसे पहली यात्री रेलगाड़ी को भी झंडी दिखा कर रवाना किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने प्रसिद्ध असमिया गायिका दीपाली बोरठाकुर को श्रद्धांजलि दी, जिनका हाल ही में निधन हो गया था। उन्होंने राज्य के कई अन्य प्रसिद्ध और ऐतिहासिक हस्तियों को भी श्रद्धांजलि दी,  जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में राज्य और देश को प्रतिष्ठित किया। उन्होंने लोगों को क्रिसमस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है, और इसे “सुशासन दिवस” ​​के रूप में भी मनाया जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में  केंद्र सरकार ने सुशासन के उद्देश्य को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक बोगीबेल रेल-सह-सड़क पुल का लोकार्पण इस उद्देश्य का प्रतीक है। श्री मोदी ने कहा कि यह पुल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी का एक चमत्कार है और अत्यधिक सामरिक महत्व का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पुल असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरियों को कम करता है। उन्होंने कहा कि यह इस क्षेत्र में  जीवन को काफी आसान बनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पुल इस क्षेत्र के लोगों के लिए कई पीढ़ियों से एक सपना था, जो अब एक वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि डिब्रूगढ़ क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और ब्रह्मपुत्र के उत्तर में रहने वाले लोग अब इस शहर तक अधिक आसानी से पहुंच सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने पुल के निर्माण में शामिल सभी लोगों की सराहना की।

श्री मोदी ने स्‍मरण कराते हुए कहा कि मई 2017 में उन्होंने असम के सदिया में देश के सबसे लंबे सड़क पुल – भूपेन हजारिका सेतु को भी राष्ट्र को समर्पित किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर 60-70 वर्षों में केवल तीन पुलों का निर्माण किया गया था,  किंतु पिछले केवल साढ़े चार वर्षों में ही तीन नये पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है। उन्‍होंने कहा कि अन्‍य पांच पुलों का कार्य भी प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र के उत्तरी और दक्षिणी तटों के बीच यह बेहतर संपर्क, सुशासन का एक घटक है। उन्होंने कहा कि विकास की यह गति पूर्वोत्तर को बदल देगी।

प्रधानमंत्री ने परिवहन के माध्यम से परिवर्तन के बारे में केंद्र सरकार के दृष्टिकोण की चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में बुनियादी ढांचा आज तीव्र गति से बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के प्रयासों के लिए असम सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के लगभग 700 किलोमीटर के कार्य को साढ़े चार साल में पूरा किया गया है। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी से जुड़ी कई अन्य परियोजनाओं के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक मजबूत और प्रगतिशील पूर्वी भारत, एक मजबूत और प्रगतिशील भारत की कुंजी है। बुनियादी ढांचे के अलावा, प्रधानमंत्री ने उज्ज्वला और स्वच्छ भारत अभियान जैसी कई पहलों के बारे भी चर्चा की, जिनमें असम में तेजी से प्रगति हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के दूर-दराज के क्षेत्रों के युवा भारत की प्रतिष्‍ठा बढ़ा  रहे हैं। असम की प्रसिद्ध एथलीट, हिमा दास के बारे में चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि युवा अब नये भारत के आत्मविश्वास के प्रतीक बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भारत की भविष्य की जरूरतों की पूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रयासरत है।

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