उपयुक्त पोषण से ही शारीरिक और मानसिक विकास होता हैं: रवी
नेहरू युवा केन्द्र रीवा (युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय भारत सरकार)द्वारा पोषण आहार माह 1 सितंबर से 30 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है। इस संबंध में नेहरू युवा केन्द्र के राष्ट्रीय स्वयंसेवक रवी सिंह आकाश शुक्ला द्वारा विद्यालय में किशोरी बालिकाओ को राष्ट्रीय पोषण माह अंतर्गत प्रतिदिन आयोजित होने वाली गतिविधियों, ग्राम स्वास्थ्य तदर्थ पोषण व्यंजन , संतुलित आहार थाली एवं किशोरी बालिकाओं के लिए पोषण के लिए विस्तृत जानकारी देते हुए
रवी सिंह ने राष्ट्रीय पोषण के लिए जन्म से 6 माह तक, 6 माह से दो वर्ष तक बच्चों के विकास के लिए स्तनपान के साथ संपूरक आहार जिसमें विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों को तरल, ठोस निर्धारित मात्रा में उत्तम गुणवत्ता युक्त पौष्टिक आहार तैयार कर बच्चों को दिया जाना चाहिए। साथ ही आकाश शुक्ला जी ने बताया कि आयु के साथ से बढ़ते हुए शिशु की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पूरक आहार अत्यन्त आवश्यक है। शिशु बहुत तीव्र गति से विकसित होते हैं। इस आयु में उनकी विकास दर की तुलना जीवन के अन्य किसी दौर के विकास दर से नहीं की जा सकती । छः माह में ही जन्म के समय तीन किलोग्राम वज़न के शिशु का वज़न दोगुना हो जाता है और एक वर्ष पूरा होने तक उसका वज़न तीन गुना हो जाता है Iतथा उसके शरीर की लम्बाई जन्म के समय से डेढ़ गुना बढ़ जाती है।
जीवन के शुरूआती वर्षों के दौरान शरीर के सभी अंग संरचनात्मक एवं कार्यात्मक दृष्टि से बहुत तीव्र गति से विकसित होते हैं। बाद में, यह विकास दर धीमी हो जाती है। जीवन के पहले दो वर्षों में तंत्रिका प्रणाली और मस्तिष्क का विकास पूर्ण हो जाता है। इष्टतम वृद्धि एवं विकास के अधिक लिए बेहतर पोषाहार के रूप में कच्ची सामग्री की नियमित आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
ज्योती शुक्ला ने बताया की मां का दूध उत्कृष्ट आहार होता है पहले छः माह के दौरान शिशु की सभी पोषणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। तथापि, छः माह की आयु के बाद से शिशु की समुचित विकास हेतु केवल मां का दूध पर्याप्त नहीं होता अतः, अन्य खाद्य-पदार्थों की आवश्यकता होती है, क्योंकि शिशु का आकार और उसके कार्यकलापों में वृद्धि हो रही होती है। इस कारण इस आयु में शिशु की पोषाहरीय आवश्यकताओं में काफी वृद्धि हो जाती है।
शैलू ने बताया कि छः माह की आयु से पूरक आहार आरम्भ किया जाना चाहिए।पूरक आहार का उद्देश्य मां के दूध की सम्पूर्ति करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि शिशु को पर्याप्त ऊर्जा, प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व प्राप्त होते रहें, ताकि वह सामान्य रूप से विकसित हो सके। यह आवश्यक है कि दो वर्ष की आयु या उससे अधिक आयु तक स्तनपान को जारी रखा जाए, क्योंकि मां का दूध ऊर्जा, उत्तम गुणवत्ता प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों की उपयोगी मात्रा प्रदान करता रहता है Iमंडल उपाध्यक्ष मनीषा तिवारी ने बताया कि प्रारम्भिक तीन वर्षों में उपयुक्त आहार शैलियां बच्चे की प्रखर बुद्धि विकास और मस्तिष्क विकास के लिये अत्यन्त आवश्यक है।जहाँ युवा शक्ति युवा मंडल के सदस्यों का भी पूर्ण योगदान रहा।
Facebook Comments