संघर्ष और आदर्श की प्रतिमूर्ति थे यमुना प्रसाद शास्त्री
पूर्व सांसद स्वर्गीय यमुना प्रसाद शास्त्री भाषण माला का आयोजन अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित प्रदेश के उद्योग तथा खनिज मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि शास्त्री जी संघर्ष और आदर्श के प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने राजनीति को सेवा का साधन बनाया। शास्त्री जी दो बार विधायक एवं दो बार सांसद रहे। उन्होंने राजनैतिक जीवन को इतना विश्वसनीय बना लिया था कि उनके अनशन में बैठने पर न केवल प्रशासन बल्कि प्रदेश एवं देश की सरकारे भी सोचने पर मजबूर हो जाती थी। यही बाते उन्हें कद्दावर नेता के रूप में स्थापित करती है। शास्त्री जी ने हमेशा विन्ध्य के विकास के लिये काम किया। बाणसागर बांध पूरा कराने, ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन या गुढ़ क्षेत्र की पहाड़ी में फायरिंग रेज बंद करने के मुद्दे उन्होंने लोकसभा में उठाये। मंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि शास्त्री जी जीवटता व कर्मठता के प्रतीक थे, गरीबों के सहारा थे वह व्यक्ति नहीं वरन एक संस्था के रूप में स्थापित थे। आज शास्त्री जी के बाणसागर बांध के सपने को पूरा किया गया। बाणसागर बांध से 2.5 लाख एकड़ में पानी पहुच गया। इसकी 300 करोड़ की लागत बढ़कर 2 हजार करोड़ रूपये हो गयी। अब बढ़ाकर 3 हजार करोड़ रूपये कर दिया गया है तथा सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 8 लाख एकड़ हो गयी है। वही ललितपुर-सिंगरौली रेलवे लाइन निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। पर्यटन के विकास के क्षेत्र में क्रांति आ गयी है। व्हाइट टाइगर सफारी का निर्माण पूर्ण हो गया है। वाटर फाल, देउर बौद्ध स्तूप, गुढ़ में भैरव बाबा का मंदिर को सर्किट से जोड़ा जा रहा है। उड़ान स्कीम में रीवा को शामिल करने का काम चल रहा है। यही शास्त्री जी को सच्ची श्रद्धांजलि है। इसीलिये फ्लाई ओवर ब्रिाज का नामकरण शास्त्री जी के नाम से किया गया। शास्त्री जी आवश्यकता से अधिक कुछ नहीं चाहते थे। वे आवश्यकता के अनुरूप ही सहयोग लेते थे। उन्होंने अपने परिवार को भी आदर्श जीवन जीने का संस्कार दिया।
सांसद जनार्दन मिश्र ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि शास्त्री जी राजनीति की नई परिभाषा लिखने वालो में से थे। वे ओजस्वी वक्ता तथा कर्मठ नेता थे। उनकी वाणी से उनका कर्म बोलता था। भाषणमाला के विषय वस्तु की पारिवारिक मूल्यों की महत्ता पर कहा कि हर समाज अपने तरीके से अपने पारिवारिक एवं सामाजिक मूल्यों का निर्धारण करता है। सामाजिक मूल्य एकाएक निर्धारित नहीं होते, हजारों वर्ष में में इसका निर्धारण होता है। हमारे समाज में पारिवारिक मूल्यों का बहुत महत्व रहा है। जापान में यदि ट्रेन एक मिनट भी विलंब से पहुंचती है तो उच्च अधिकारियों को सारी बोलना पड़ता है। जबकि अमेरिका में इस समय गन संस्कृत पनप रही है। भारत में पारिवारिक मूल्य सत्य, अहिंसा एवं अपरिग्रह पर आधारित है। पूरा विश्व अहिंसा को स्वीकार किया है। हमने चर्वाक की भोग संस्कृत को नहीं माना, उनकी विद्वान के रूप में प्रतिष्ठा है लेकिन समाज ने उनके विचार ग्रहण नहीं किया। अपरिग्रह को सारा विश्व अपना रहा है। भगवान राम ने पारिवारिक मूल्यों की स्थापना की। आदर्श स्थापित किया इसीलिये वे भगवान माने गये। पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित होकर हम अपने पारिवारिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। संयुक्त परिवार धीरे-धीरे टूट रहे हैं। वर्तमान में पारिवारिक मूल्यों का ह्मास हुआ है। समाज में विपरीत आचरण कर पुराने मूल्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। देश में 5 प्रतिशत लोग पूंजीपति हैं शेष 95 प्रतिशत लोग साधारण है। पूंजीपतियों के अलग मूल्य हैं। जबकी गरीब परिवार की अलग धारणा है। समाज की कुष्ंठा और निराशा के कारण ही हमारे परिवार टूटे हैं। पारिवारिक स्तम्भों को पुन: खड़ा होना होगा तभी आदर्श पारिवारिक मूल्य बनेंगे।
भाषण माला का संचालन प्रो. शुभा तिवारी ने किया। कुलपति प्रो. के.एस. सिंह यादव, प्रो. दिनेश कुशवाहा, देवेन्द्र शास्त्री, कुल सचिव लाल साहब सिंह ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के पूर्व उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, सांसद जनार्दन मिश्र, को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। प्रो. अंजली श्रीवास्तव ने आभार प्रकट किया।