जेईई मेन्स में डेढ़ लाख तक रैंक वालों को मिलेगा मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ

अब 12वीं में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी भी होंगे लाभान्वित

राज्य शासन द्वारा विद्यार्थियों के हित में मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना में संशोधन किया गया है। अब जेईई मेन्स परीक्षा में एक लाख 50 हजार तक रैंक में आने वाले विद्यार्थियों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। पहले 50 हजार तक रैंक वाले विद्यार्थियों को ही इसका लाभ मिलता था। इसी तरह माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 12वीं की परीक्षा में शैक्षणिक सत्र 2018-19 से 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक और सीबीएसई/आईएससीएसआई की 12वीं की परीक्षा में 85 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को योजना का लाभ मिलेगा।

इंजीनियरिंग : शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की फीस शासन द्वारा दी जायेगी। प्रायवेट कॉलेज को देय शुल्क डेढ़ लाख रुपये तक अथवा वास्तविक रूप से देय शुल्क, जो कम हो, शासन द्वारा दी जायेगी। यदि किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में अलग से प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है और छात्र जेईई मेन्स में एक लाख 50 हजार तक की रैंक में आता है, तो उसे भी पात्रता होगी।

मेडिकल : जिन विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के आधार पर केन्द्र या राज्य शासन के मेडिकल कॉलेज और प्रदेश में स्थित प्रायवेट मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है, तो उनकी फीस राज्य शासन द्वारा वहन की जायेगी। भारत शासन के ऐसे संस्थान, जो स्वयं के द्वारा आयोजित परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं, को भी योजना में शामिल किया गया है। शासकीय मेडिकल कॉलेज में शिक्षित डॉक्टर दो वर्ष तक राज्य शासन द्वारा सुनिश्चित ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने का अनुबंध करेंगे और इस आशय का 10 लाख रुपये का बॉण्ड भरेंगे। प्रायवेट कॉलेज में यह अवधि 5 वर्ष तथा बॉण्ड की राशि 25 लाख रुपये होगी।

लॉ क्लेट अथवा स्वयं के द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से राष्‍ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में 12वीं कक्षा के बाद एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों की फीस राज्य शासन द्वारा दी जायेगी।

भारत सरकार के समस्त विश्वविद्यालयों/संस्थानों में संचालित ग्रेजुएशन प्रोग्राम, इंटीग्रेटेड पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम एवं ड्यूल डिग्री कोर्स (मास्टर डिग्री के साथ बेचलर डिग्री भी सम्मिलित है) के विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा। राज्य शासन के सभी शासकीय एवं अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों में संचालित सभी पाठ्यक्रमों को योजना में शामिल किया गया है।

विद्यार्थी के पिता/पालक की आय 6 लाख रुपये से कम होना चाहिये, लेकिन ऐसे विद्यार्थी, जिनके पिता/पालक की वार्षिक आय 6 लाख तक है तथा वे बीपीएल कार्डधारी, अनुसूचित-जाति या अनुसूचित-जनजाति वर्ग के विद्यार्थी हैं तथा उपरोक्त उल्लेखित शर्तों के कारण योजना में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, को विशेष प्रकरण मानते हुए इनके संबंध में विभाग, समन्वय में सक्षम अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त कर उन्हें योजना में सम्मिलित कर सकेगा।

योजना में स्नातक स्तर के लिये विभिन्न संस्थाओं को देय शुल्क के रूप में, प्रवेश शुल्क एवं वह वास्तविक शुल्क (मेस शुल्क एवं कॉशन मनी को छोड़कर) जो विनियामक समिति अथवा मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग अथवा भारत सरकार/राज्य शासन द्वारा निर्धारित किया गया है, का ही भुगतान किया जायेगा।

योजना में लाभ पाने वाले विद्यार्थियों को प्रवेशित संस्था के नियमानुसार पाठ्यक्रम को समय-सीमा में पूरा करना जरूरी होगा अन्यथा यह लाभ बंद कर दिया जायेगा। शासकीय संस्थाओं के विद्यार्थियों को देय शुल्क संस्था के खाते में दी जायेगी, जबकि निजी संस्थाओं के‍विद्यार्थियों को देय शुल्क विद्यार्थी के खाते में दी जायेगी। विद्यार्थी द्वारा राज्य या केन्द्र शासन की किसी अन्य योजना से सहायता प्राप्त होने की स्थिति में वह अंतर की राशि प्राप्त कर सकेगा। ऐसे विद्यार्थी, जिनके पास आधार नम्बर नहीं हैं, उनको 3 माह के अंदर आधार नम्बर देना होगा। लाभार्थी विद्यार्थी एवं उनका परिवार स्वेच्छा से शिक्षा पूरी होने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित फण्ड में उनके जैसे अन्य छात्रों की मदद के लिये योजना में दी गई राशि इच्छानुसार जमा कर सकेंगे।

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