युद्धपोत आईएनएस किलटान नौसेना में शामिल

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के बेहतरीन उदाहरण आईएनएस किलटान को भारतीय नौसेना को समर्पित किया। विशाखापत्तनम बंदरगाह पर हुए कार्यक्रम में रक्षामंत्री, नौसेना प्रमुख, भारतीय शिपयार्ड के सीएमडी सहित तमाम उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में इस शानदार युद्धपोत का जलावतरण किया गया।

भारतीय नौसेना को दुनिया की सबसे मजबूत नौसेनाओं में माना जाता है और सोमवार को उसकी ताकत में उस समय और इजाफा हुआ जब पनडुब्बी को मार गिराने में सक्षम अब तक का सबसे घातक युद्धपोत उसके बेड़े में शामिल हुआ। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के बेहतरीन उदाहरण आईएनएस किलटान को भारतीय नौसेना को समर्पित किया। विशाखापत्तनम बंदरगाह पर हुए कार्यक्रम में रक्षामंत्री, नौसेना प्रमुख, भारतीय शिपयार्ड के सीएमडी सहित तमाम उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में इस शानदार युद्धपोत का जलावतरण किया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि ‘आईएनएस किलटान के स्वदेशी निर्माण से नौसेना की आत्मनिर्भरता सराहनीय है। इसने भारतीय नौसेना को खरीदार से आगे बढ़ाकर निर्माता की श्रेणी में बदल दिया है। हमें अपने जहाज निर्माण कार्यों को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यासों के लिए बेंचमार्क के साथ ही कम समय सीमा में प्रतिस्पर्धी लागतों पर गुणवत्ता वाले जहाजों का उत्पादन करने की आवश्यकता है। सरकार नौसेना के आधुनिकीकरण और विकास योजनाओं के वित्तपोषण के लिये प्रतिबद्ध है।’
‘आईएनएस किलटान की विशेषताओं की अगर बात करें तो ये देश में निर्मित अत्याधुनिक राडार और हथियारों से लैस है। यह पनडुब्बियों को आसानी से मार गिरा सकता है।’
‘कमोरटा क्लास श्रेणी के चार युद्धपोत में से यह तीसरा है। इसे डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने आकार दिया है और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने इसका निर्माण किया है। इस युद्धपोत का वजन 3,500 टन है और यह 109 मीटर लंबा है। इसमें चार डीजल इंजन लगे हैं। आधुनिक सेंसर से लैस ये युद्धपोत 45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। इस पर हेलिकॉप्टर लैंडिंग की सुविधा भी है। युद्धपोत में रॉकेट लॉन्चर भी लगा है। यह रासायनिक, जैविक और परमाणु युद्ध के हालात में भी लड़ सकता है। इसमें हाई क्लास स्टील डीएमआर 249 का इस्तेमाल हुआ है।’
10 अगस्त 2010 को इसकी नींव रखी गई और 26 मार्च 2013 को लॉन्च किया गया। उसके पहले समुद्री परीक्षणों की शुरुआत 6 मई 2017 को हुई और आखिरकार 14 अक्टूबर 2017 को जीआरएसई द्वारा भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। शिवालिक क्लास, कोलकाता क्लास, आईएनएस कामोरता और आईएनएस कदमात के बाद आईएनएस किलटन देश का सबसे घातक युद्धपोत है। इसमें अग्नि नियंत्रण प्रणाली, मिसाइल तैनाती रॉकेट, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर सिस्टम सोनार और रडार रेवती भी लगाया गया है। यह देश का पहला ऐसा युद्धपोत है जिसे बनाने में कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। तटीय और उपतटीय क्षेत्र की निगरानी व गश्त को ध्यान में रखते हुए युद्धपोत ‘आईएनएस तरासा’ को भी कुछ हफ्ते पहले भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। आईएनएस तरासा को उसके मुख्य कार्य तटों और अपतटों की निगरानी व गश्त के लिए अच्छी मजबूती, उच्च गति और परिवर्तनशीलता के साथ बनाया गया है। अब किलटान के आने के बाद नौसेना की ताकत और बढ़ गई है।

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