राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का विरोध कांग्रेस का उचित निर्णय

राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई आदेश पर कांग्रेस समीक्षा आवेदन देगी

21-11-2022

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के हत्यारों की समय पूर्व रिहाई दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रधानमंत्री की हत्या और हत्यारों के समय पूर्व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिहाई समझ से परे है ।राजीव गांधी के परिवार द्वारा क्षमा दया अच्छी बात हो सकती है यह उनका व्यक्तिगत मामला हो सकता है। लेकिन देश सर्वोच्च न्यायालय को व्यक्तिगत नहीं देश हित में ध्यान रख रिहाई पर निर्णय  लेनी की उम्मीद करता है। कांग्रेस द्वारा रिहाई आदेश पर समीक्षा आवेदन करना अच्छी बात है। हर अपराध की माफी नहीं हो सकती है आदर्श और हकीकत दोनों बातों को ध्यान में रखकर  सर्वोच्च न्यायालय को आदेश पर समीक्षा आवेदन पर विचार करना चाहिए।
 यह अलग बात है कि कांग्रेस समीक्षा आवेदन कैसे देती है उसमे कौन-कौन सी बातें रखी जाती हैं। किन बिंदुओं पर आदेश को चुनौती दी जाती है और समीक्षा के लिए उचित तथ्य पेश कर पाती है कि नहीं। केंद्र ने भी कहा है कि उसे समय मिलना चाहिए था जल्दी में समय पूर्व रिहाई का आदेश दिया गया है। केंद्र की भी बात समीक्षा आवेदन में आनी चाहिए।
यह वाकई समीक्षा करने वाली बात है कि अगर इस तरह के हत्यारों को समय पूर्व रिहाई दी जाएगी तो समाज में क्या संदेश जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश उदाहरण बनते हैं। और ऐसा उदाहरण स्थापित होता है कि प्रधानमंत्री की हत्या करके अगर एक निश्चित अवधि तक जेल में रहे वह भी एक वीआईपी कैदी की तरह और वही कंप्यूटर सीख लिया बीए एमए कर लिया चाल चलन के अच्छे होने का रिकॉर्ड प्राप्त कर लिया तो हत्यारा समय पूर्व रिहाई पा सकता है। तो देशी-विदेशी सभी तरह की ऐसी ताकते पर जो देश को अस्थिर करने की मंशा रखती है ऐसे लोगों को पालेंगीं जो ऐसे जघन्य कृत्य को अंजाम दें और फिर जेल में रहकर कंप्यूटर का डिप्लोमा लेकर जेल से समय पूर्व रिहाई पा जाएं। अगर कसाब जैसे अपराधियों की अच्छे चाल चलन के आधार पर समय पूर्व रिहाई हो जाती तो देश और इसकी व्यवस्था का अस्तित्व क्या रहता है।
 कांग्रेस पार्टी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका अवश्य दायर करनी चाहिए तथा देश के अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी इस विषय पर कांग्रेस के साथ होना चाहिए। देश के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से जुड़ा हुआ है प्रकरण  है कोई सामान्य हत्या का प्रकरण नहीं है। वैसे तो कोई भी हत्या सामान्य नहीं कही जा सकती लेकिन जहां प्रधानमंत्री की बात हो तो तुलनात्मक रूप से बात की जा सकती है ।कोई हत्या गलती धोखे से होती है उसके लिए प्रयाश्चित रिहाई सही  प्रतीत हो सकती है लेकिन संगठित अपराध सोची-समझी हत्या  एक देश के प्रधानमंत्री की हत्या पर समय पूर्व रिहाई का आदेश  कतई उचित नहीं है।
 माननीय न्यायालय के आदेश पर कोई उंगली नहीं उठाता लेकिन निवेदन करना आवेदन करना जनता का हक है, पार्टी का हक है ,व्यक्ति का हक है। केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी दोनों को ही इस विषय पर समय रहते ध्यान देने की आवश्यकता है अगर ऐसे अपराधी समय पूर्व  रिहाई पाकर समाज में घूमेंगे तो देश और समाज में गलत संदेश जाएगा।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
    21 नवंबर 2022
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