श्री राम कथा से भक्तिमय हुआ लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर

श्री राम कथा से भक्तिमय में हुआ लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर।

रीवा का लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर धार्मिक सांस्कृतिक और शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र है। लक्ष्मण बाग संस्थान की परिसंपत्तिया भारत के सभी कोने में लगभग प्रत्येक धार्मिक नगरों में मंदिर मठ शिक्षा संस्थानों के साथ धर्मशाला के रूप में है। प्रभु श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी के नाम पर यह लक्ष्मण बाग का मंदिर विन्ध्य का चारों धाम है। यहां चारों धाम के देवता विराजित हैं। यहां के कुंड मे चारों धाम का जल है ।यहां के संस्कृत विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करके सैकड़ों संत देश विदेश में अनवरत धर्म ध्वजा वाहक बने हुए हैं। लक्ष्मण बाग संस्थान रीवा राज्य का प्राण स्थल है।लक्ष्मण बाग संस्थान मंदिर के बिना रीवा राज अधूरा है ।रीवा राज्य की जो धर्म पताका यहां फहरती है उसी का प्रताप है कि रीवा सभी क्षेत्रों में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। रीवा का संपूर्ण विकास  लक्ष्मण बाग संस्थान के संग सर्वांगीण विकास के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता। रीवा के अन्य विकास कार्य पेड़ के पत्तों को सींचने जैसा है जबकि लक्ष्मण बाग का विकास  जड़ों में जल सिंचित करने जैसा। जब लक्ष्मण बाग की जड़े सिंचित होंगी तो रीवा संभाग स्वमेव लहलहा उठेगा।आज 13 अप्रैल 2022 को यहां हो रही श्रीमद् बाल्मीकि रामायण कथा का दूसरा दिन है संत शिरोमणि जगद्गुरु राघवाचार्य जी राम कथा वाचन कर रहे हैं ।और इस आयोजन के मुख्य कर्ताधर्ता रीवा विधायक पूर्व मंत्री मध्य प्रदेश शासन रीवा विकास पुरुष के रूप में स्थापित राजेंद्र शुक्ल हैं। रीवा के गणमान्य नागरिक और रीवा राजघराने के राजकुमार पूर्व विधायक पुष्पराज सिंह, दीना नाथ शास्त्री, प्रभाकर चतुर्वेदी जैसे धर्म प्रेमियों का विशेष योगदान है।आज की कथा श्रवण मे हजारों श्रद्धालुओं के साथ गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह तथा मनगंवा विधायक पंचूलाल प्रजापति भी उपस्थित रहे। लक्ष्मण बाग के परिसर में मेरी जानकारी में पहला बड़ा धार्मिक आयोजन है ।कुछ वर्षों पूर्व तक इस संस्थान को लगभग भुला दिया गया था। यहां का भव्य मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में जा पहुंचा था। राजेंद्र शुक्ल ने इसके जीर्णोद्धार और यहां एक अच्छी गौशाला स्थापित कर यहां चहल पहल का वातावरण निर्मित किया है ।इस जगह लोगों की आवाजाही प्रारंभ हुई लेकिन वह उल्लास नहीं उत्पन्न हो पाया था जो आज राम कथा के आयोजन के फल स्वरुप हो रहा है। परिसर में अब लगभग हर समय कोई ना कोई बड़ा धार्मिक आयोजन होता रहेगा और इसका लाभ यह होगा कि लक्ष्मण बाग संस्थान पुनः अपने अतीत दगौरव को प्राप्त करेगा। लक्ष्मण बाग संस्थान की परिसंपत्तियों जो खुर्द बुर्द  हो रही थी पुनः उनके संरक्षण का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस संस्थान का अध्यक्ष रीवा कलेक्टर होता है रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल के प्रयास से वह सक्रियता आई है जिससे इस संस्थान की संपत्तियों को कलेक्टर द्वारा पुनः सहेजने का कार्य हो रहा है। लक्ष्मण बाग संस्थान का विकास और रीवा नगर में हो रहे नवीन विकास कार्यों के उत्तम मेल से वह वातावरण निर्मित होगा जहां से रीवा पूर्ण विकसित कहलाने का हकदार होगा। लक्ष्मण बाग के विकास के बिना रीवा का विकास कार्य अधूरा रहता लेकिन आज वह विकास कार्य मूर्त रूप लेता हुआ दिखाई पड़ रहा  है । रीवा का विकास और उसमें यह श्री राम कथा की शुरुआत ईश्वरी कृपा है ।

हम बात करते हैं आज की कथा की जैसा कि सब जानते हैं कि वाल्मीकि रामायण आदि रामचरित ग्रंथ है। संस्कृत भाषा में रचित ग्रंथ में प्रभु श्री राम का जीवन चरित्र वर्णित है ।जगद्गुरु राघवाचार्य में आज की कथा में प्रभु श्री राम के जन्म उत्सव तक की कथा की अद्भुत मनोहारी कथा में दशरथ जी उनकी रानियां उनका राज्य , प्रभु श्री राम के जन्म का प्रयोजन आदि प्रसंग आज की कथा के अंग थे ।श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में वेद जिस परम तत्व का वर्णन करते हैं वही श्री राम जी के रूप में निरूपित है साक्षात वेद ही श्री  वाल्मीकि जी के मुख से  श्री रामायण के रूप में प्रगट हुए हैं ऐसी धर्म अनुरागियों का मानना है।  वाल्मीकि जी ने श्री राम जी के महामात्य का वर्णन प्रथम अध्याय में किया गया है। कलि काल में मनुष्यों के उद्धार का उपाय, रामायण पाठ उसकी महिमा उसके श्रवण काल का वर्णन है। द्वितीय अध्याय में नारद सनत कुमार संवाद ,सुदास या सोमदत्त नामक ब्राह्मण के ब्रहमराक्षसत्व की  प्राप्ति तथा रामायण कथा श्रवण द्वारा उसके उद्धार का वर्णन। तृतीय अध्याय में माघ मास में रामायण श्रवण का फल राजा सुमति और सत्यवती के पूर्व जन्म का इतिहास ।चतुर्थ अध्याय में चैत्र मास में रामायण पठन और श्रवण का महत्व ,कलिक नामक व्याध और उत्तंग मुनि की कथा है। पंचम अध्याय में रामायण नवाह श्रवण की विधि महिमा तथा फल का वर्णन।

श्री बाल्मीकि रामायण के प्रथम कांड बालकांड के प्रथम सर्ग में नारद जी का वाल्मीकि मुनि को संक्षेप में श्री राम चरित्र सुनाना।द्तीय सर्ग मे रामायण काव्य का उपक्रम  , तमसा के तट पर क्रौंच वध से संतप्त हुए  महर्षि वाल्मीकि शोक का श्लोक के रूप में प्रकट होना तथा ब्रह्मा जी का उन्हें रामचरित्र काव्य के निर्माण का आदेश देना।तृतीय सर्ग मे वाल्मीकि मुनि द्वारा रामायण काव्य के निबंध विषयों का संक्षेप में उल्लेख चतुर्थ सर्ग में महर्षि वाल्मीकि का 24000 श्लोकों संयुक्त रामायण काव्य का निर्माण करके उसे लव कुश को पढ़ाना तथा राम दरबार में उसका गायन। पंचम सर्ग में राजा दशरथ द्वारा सुरक्षित अयोध्यापुरी का वर्णन छठे सर्ग में राजा दशरथ के शासनकाल में उदय और वहां के नागरिकों की उत्तम स्थिति का वर्णन सप्तम सर्ग में राज्य मंत्रियों के गुण और नीति का वर्णन अष्टम सर्ग में राजा का पुत्र के लिए अश्वमेध यज्ञ करने का प्रस्ताव नवम सर्ग में सुमंत्र राजा को ऋस्यश्रृंग मुनि को बुलाने की सलाह देते हुए उनके अंग देश में जाने और शांता से विवाह करने का वर्णन। दशम सर्ग में अंग देश से ऋस्यश्रृंग  के आने तथा शांता साथ विवाह होने का प्रसंग कुछ विस्तार के साथ वर्णन ग्यारहवें सर्ग में सुमन्त्र  के कहने से राजा दशरथ का सपरिवार अंगराज  के यहां जाकर यहां से शांता और श्रृस्यश्रृंग को अपने घर ले आना बारहवें सर्ग में राजा का ऋषियों से यज्ञ कराने का प्रस्ताव , तेरहवें सर्ग में वशिष्ट जी द्वारा यज्ञ की तैयारी ,चौदहवें सर्ग में महाराज दशरथ द्वारा अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान पन्द्रहवें में पुत्र प्राप्ति यज्ञ का आरंभ ,सोलहवें सर्ग  में देवताओं द्वारा  श्रीहरि से रावण वध के लिए मनुष्य रूप में प्रकट होने की प्रार्थना सत्रहवें सर्ग में ब्रह्मा जी के प्रेरणा से देवता आदि के द्वारा विभिन्न वानर यूथपतियों की उत्पत्ति, अठारहवें  सर्ग में श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के जन्म का वर्णन आज की श्री राम कथा में श्री राघवाचार्य जी ने अति मनोहारी रूप  चित्रण के साथ विराम दिया।

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