नरबाई जलाने पर पन्द्रह हजार रुपये का होगा जुर्माना – कलेक्टर

रीवा 10 नवम्बर 2021. कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी ने फसल काटने के बाद बचे अवशेष-नरबाई जलाने पर प्रतिबंध के आदेश दिए हैं। यह प्रतिबंध संपूर्ण रीवा जिले में लागू होगा। प्रतिबंध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 30 के तहत लगाया गया है। सम्पूर्ण रीवा जिले में यदि कोई व्यक्ति प्रतिबंध का उल्लंघन करता है तो उसके विरूद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।
जारी आदेश के अनुसार किसानों द्वारा खेत को साफ करने के लिए फसल काटने के बाद खेत में नरबाई जलाई जाती है। इससे एक ओर आग लगने का खतरा रहता है। वहीं दूसरी ओर आग से जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है। नरबाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। नरबाई जलाने से आसपास के खेतों तथा घरों में आग लगने की आशंका रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए नरबाई जलाने में प्रतिबंध के आदेश दिए गए हैं।
कलेक्टर ने किसानों से कहा है कि फसल काटने के उपरांत खेत में बचे ठूंठे एवं डंठल जिसे सामान्य भाषा में नरवाई कहते है, जिसे जलाये जाने से वायु प्रदूषण एवं पर्यावरणीय असंतुलन की समस्याये परिलक्षित हो रही है। धान एवं गेंहू की कटाई के पश्चात नरवाई को जलाने से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिसमें आंखों में खुजली, श्वास संबंधी बीमारी, ब्राोनकाइटिस, अस्थमा होने का कारण बनती है, साथ ही नरवाई जलाने से पर्यावरणीय पारिस्थितिक तंत्र जिसमें पशु-पक्षी एवं भूमि में रहने वाले अतिसूक्ष्म जीव जो कृषि के लिए भूमि को उर्वरा शक्ति प्रदान करने में सहायक होते है उनका नुकसान होता है एवं धुंआ उत्पन्न होने के कारण सड़क पर अदृश्यता की स्थिति निर्मित होने से दुर्घटना का कारण बन सकती है। नरवाई जलाने से निकट के आबादी के क्षेत्र में आग लगने से संपत्ति को नुकसान होने की घटनाये भी होती है। अत: संभावित होने वाले कारकों से किसी भी प्रकार की आपदा की आशंका से इंकार नही किया जा सकता, जिसकी रोकथाम हेतु संपूर्ण जिले में नरवाई जलाने को प्रतिबंधित किया जाना आवश्यक हो जाता है। उन्होंने नरवाई न जलाने में आमजन से सहयोग की अपील की है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार किसी भी व्यक्ति अथवा संस्था से द्वारा निर्देशों का उल्लंघन पाये जाने पर छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से कम है, पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 2500 प्रतिघटना देना होगा तथा छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 2 एकड़ से अधिक व 5 एकड़ से कम है, को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 5000 प्रतिघटना अदा करना पड़ेगा। इसी प्रकार छोटे भूमि मालिक जिनकी भूमि का क्षेत्र 5 एकड़ से अधिक है, को पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 15000 प्रति घटना राशि जमा करनी होगी।

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