सफेद बाघ हमारा गौरव

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भारतीय जीवन शैली में वनस्पतियों, वन्यजीवों, झीलों, नदियों और पर्वतों जैसे प्रा.तिक संसाधनों की मुख्य भूमिका रही है। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे राज्य को प्रकृति ने वन्य जीवों और वनस्पतियों के रूप में अनुपम उपहार दिये हैं। धरती के श्रृंगार के रूप में तरह-तरह की वनस्पतियों एवं वन्यप्राणियों में सफेद बाघ प्रकृति  का अप्रतिम उपहार है। हमें गर्व है कि दुनिया को सफेद बाघ देने वाला हमारा प्रदेश है। दुनियाभर के वन्यप्राणी उद्यानों में जो भी सफेद बाघ विचरण करते हैं, वे सब हमारे प्रदेश से गए हैं।

मध्यप्रदेश का विन्ध्य क्षेत्र सफेद बाघों की नैसर्गिक मातृभूमि और मौलिक पर्यावास है। प्रदेश के इतिहास में 27 मई 1951 का दिन अविस्मरणीय है, इसी दिन सफेद बाघ विन्ध्य के वनों से मनुष्य के संरक्षण में आया। इसके लिये रीवा के तत्कालीन महाराज श्री मार्तण्ड सिंह के प्रति विश्व के वन्यजीव प्रेमी सदैव कृतज्ञ  रहेंगे। विन्ध्य में सफेद बाघों का संवर्धन और संरक्षण 8 जुलाई 1976 तक होता रहा। यहीं से सफेद बाघ की वंश-वेलि दुनियाभर में फैली।

प्रदेशवासियों की यह प्रबल आकांक्षा रही है कि विश्वभर में सफेद बाघ से जो गौरव उसे कभी प्राप्त था, वह उसे पुनः मिले। इस दिशा में राज्य सरकार ने सार्थक पहल की। सफेद बाघों को उनकी नैसर्गिक भूमि और मूल निवास में वापसी के लिए जो भागीरथी प्रयत्न शुरू किए गए, आज उनकी परिणति मुकुन्दपुर में विश्व स्तरीय व्हाइट टाइगर सफारी, जू एण्ड रेस्क्यू सेंटर के रूप में हुयी है। मुकुन्दपुर के मॉद का यह घना जंगल बाघों और अन्य वन्यजीवों का मौलिक पर्यावास रहा है। इस दृष्टि से भी यह टाइगर सफारी महत्वपूर्ण है। अतीत बन चुकी सफेद बाघ की दहाड़ अब फिर से विन्ध्य की धरती पर गूँजने लगी है।

मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय वन्यजीव उद्यान एवं टाइगर रिजर्व विश्व में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। इनमें अब मुकुन्दपुर भी एक कड़ी के रूप में जुड़ गया है। वन्यजीव प्रेमी और विशेषज्ञों में यह स्वाभाविक जिज्ञासा होगी कि सफेद बाघ का संरक्षण संवर्धन कहाँ और कैसे हुआ? उनका मूल निवास कैसा होगा? वे अब मुकुन्दपुर आकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर पायेंगे। विन्ध्य के श्रेष्ठ वन परिक्षेत्रों में भ्रमण कर वे सफेद बाघों के पर्यावास से परिचित हो सकेंगे। मुकुन्दपुर व्हाइट टाइगर सफारी के माध्यम से विन्ध्य क्षेत्र विश्व पर्यटन के नक्शे में अंकित हो चुका है। इस क्षेत्र में पर्यटन के विस्तार की अपार संभावनाएँ हैं।

व्हाइट टाइगर सफारी की स्थापना के बाद अब इस दिशा में भी प्रयास करने की आवश्यकता होगी कि सफेद बाघों को उनके प्राकृतिक  मूल निवास में फिर कैसे आबाद किया जाये। पर्यटकों व वन्यजीव प्रेमियों को वे पुनः उसी तरह वन परिक्षेत्रों में स्वच्छंद विचरण करते दिखें, जैसे कि 1951 से पूर्व तक जंगलों में आबाद थे।

राज्य शासन विलुप्त हो रहे जैव वैविध्य तथा वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक  पर्यावास के संरक्षण व संवर्धन के लिये निरंतर प्रयासरत है। इस दिशा में यह सफारी एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सहयोगी बने सभीजनों को साधुवाद।

मध्यप्रदेश को कुदरत से मिले ये अनुपम उपहार, जनमानस के लिये सदैव कौतूहल का विषय रहे हैं। मानव इनके समीप जाकर असीम आनंद और सुकून की अनुभूति प्राप्त करता है। प्रदेश के सभी नागरिकों, विशेषकर विन्ध्यवासियों को विन्ध्य ही नहीं अपितु प्रदेश और देश की शान सफेद बाघ की घर वापसी पर बधाई और शुभकामनाएँ।

                                                                                             शिवराज सिंह चौहान                                                                    

                                                                                         (लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।)

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