कमिश्नर डॉ. भार्गव ने इको सेंस्टिव जोन के विकास की समीक्षा की

रीवा 04 जनवरी 2020. रीवा संभाग के सीधी तथा सिंगरौली जिले के राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्यों से जुड़े क्षेत्रों में इको सेंस्टिव जोन चिन्हित किया गया है। इनमें पर्यावरण संरक्षण वन्य प्राणी संरक्षण तथा आमजन के हितों को ध्यान में रखकर विकास कार्यो की योजना बनाई जा रही है। रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कलेक्ट्रेट के बाणसागर सभागार में इको सेंस्टिव जोन में विकास कार्यो की प्रस्तावित कार्य योजना की समीक्षा की। बैठक में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं लोगों की आजीविका को ध्यान में रखकर इको सेंस्टिव जोन बनायें। इसकी पवित्रता को बनाये रखते हुए विकास के कार्य प्रस्तावित करें। ईएसजेड का प्राकृतिक सौंदर्य हरहाल में बना रहना चाहिए।
बैठक में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि ईएसजेड में स्वच्छता के कार्यों पर भी विशेष ध्यान दें। इनमें सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित करें। ईएसजेड में रहने वाले अधिकतर लोगों की आजीविका वनों से जुड़ी है। इसमें रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों तथा अन्य लोगों की संस्कृति एवं परंमराओं को सुरक्षित रखते हुए। विकास के कार्य करायें। इको सेंस्टिव जोन में कंजर्वेशन जोन, मैनेजमेंट जोन तथा डेवलपमेंट जोन का स्पष्ट विभाजन करें। सभी कलेक्टर अपने क्षेत्र में ईएसजेड से संबंधित बिन्दुओं पर मैदानी अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करके प्रस्तावित कार्य योजना के लिए उपयोगी सुझाव दें।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि इको सेंस्टिव जोन बनाने का मुख्य उद्देश्य नेशनल पार्क तथा अभ्यारण्यों में जनसंख्या के दवाओं को घटाना है इसके लिए लोगों की आजीविका से जुड़े कार्यो को भी शामिल करना होगा। कृषि, उद्यानिकी, वन, ग्रामीण विकास जैसे विभागों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्थानीय परिस्थितियों, पर्यावरण संरक्षण तथा वन्य प्राणी संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कार्य योजना तैयार करें। बैठक में कलेक्टर सिंगरौली के.व्ही.एस. चौधरी तथा कलेक्टर सीधी रवीन्द्र कुमार चौधरी ने इको सेंस्टिव जोन के संबंध में उपयोगी सुझाव दिये।
बैठक में इको सेंस्टिव जोन का सर्वेक्षण करने एवं कार्य योजना तैयार करने वाली एजेंसी आईपीई ग्लोबल के प्रतिनिधि अजीत कुमार पटनायक ने इको सेंस्टिव जोन के सर्वे के बिन्दुओं एवं प्रस्तावित कार्य योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बेस लाइन सर्वे किया जा चुका है। ईएसजेड का विस्तार 1500 वर्ग किलो मीटर में है इसमें संजय नेशनल पार्क सीधी, बगदरा अभ्यारण्य, संजय दुबरी अभ्यारण्य तथा सोन घड़ियाल अभ्यारण्य से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं। सर्वे में इन क्षेत्रों में कृषि, पर्यावरण पेयजल व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधन, जनसंख्या के रूप, रोजगार के अवसर, आजीविका के साधन तथा वन प्रबंधन की जानकारी एकत्रित की गयी है। ईएसजेड के गांव में जनसंख्या बिखरी हुई है यहां जैविक खेती, इको पर्यटन, एग्रो पर्यटन तथा आजीविका के अवसर बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है। ईएसजेड में जल प्रबंधन सड़कों के विकास, वन्य प्राणियों को आबादी के क्षेत्र में आने से रोकने तथा दुर्घटना से बचाव के प्रयास किये जायेंगे। वनों को आग से बचाने पुरातत्व को बढ़ावा देने तथा वन्य प्राणियों से फसलों एवं आमजनों को होने वाली हानि से बचाने के लिए भी आवश्यक उपाय प्रस्तावित किये जा रहे हैं।
बैठक में इको सेंस्टिव जोन के विकास के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय, वनाधिकार अधिनियम के तहत जारी अमान्य दावों के सत्यापन तथा लोगों को जागरूक करने के प्रयासों की भी समीक्षा की गई। बैठक में कलेक्टर रीवा बसंत कुर्रे, सीसीएफ रीवा अतुल खेरा, सीसीएफ सीधी, संभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग तथा पर्यावरण कृषि उद्यानिकी नगर निवेश एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी तथा सर्वेक्षण करने वाली संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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