कृषि अर्थव्यवस्था तथा संस्कृति का आधार है – कमिश्नर डॉ. भार्गव

रीवा 25 जुलाई 2019. रीवा संभाग में कृषि तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए दो दिवसीय संभाव्यता कार्यशाला जिला पंचायत सभागार में आयोजित की गई। कार्यशाला का समापन करते हुए रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि संभाव्यता कार्यशाला में सभी विभागों ने मनोयोग के साथ भाग लेकर उपयोगी सुझाव तैयार किये हैं। कार्यशाला के सुझावों के अनुसार प्रत्येक जिले तथा प्रत्येक विकासखण्ड की कार्ययोजना तैयार करें। इन सुझावों को कार्यरूप में परिणित करने पर ही संभाग के अन्नदाता किसानों के चेहरे पर मुस्कान आयेगी। कृषि देश की अर्थव्यवस्था ही नहीं संस्कृति और सभ्यता का भी आधार है। इस मानवीय ग्रंथ के सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ हमारे किसान हैं। तपती धूप में खेतों में श्रम करके अनाज रूपी सोना उगाने का चमत्कार किसान ही करते हैं। हम सबके लिए पेट भरने का अनाज और सब्जी-फल किसानों से ही मिलते हैं। किसान समृद्ध होगा तभी देश समृद्ध होगा।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि कृषि व्यवस्था में सुधार के साथ कई परिवर्तन हैं। हमें समय के साथ खेती की तकनीक में परिवर्तन करना होगा। कम लागत, कम पानी, जैविक खाद तथा सरल एवं उन्नत कृषि तकनीक से ही खेती में ही सुधार होगा। संभाग के हर विकासखंड की आवश्यकताओं तथा विशेषताओं के अनुसार खेती, उद्यानिकी, पशुपालन की कार्ययोजना तैयार करें। सबके समन्वित प्रयासों तथा विकास के लिए सकारात्मक योगदान से ही लक्ष्यों की प्राप्ति होगी। कार्यशाला में प्राप्त सुझावों को मैदानी स्तर पर अमली जामा पहनाने का प्रयास करें। खेती में कई चुनौतियां तथा समस्याएं हैं। चुनौतियों को अवसर बनाकर तथा समस्याओं का समाधान करके विकास का मार्ग प्रशस्त करें।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि जल संरक्षण तथा पर्यावरण संरक्षण समय की महती आवश्यकता है। हर व्यक्ति हर वर्ष कम से कम पांच पौधे रोपित करे। जीवन में खुशी के हर अवसर पर वृक्षारोपण करने का प्रयास करें। प्रकृति को हम जो देंगे वही हमें वापस मिलेगा। हमने प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया तो समस्याएं सामने आयेंगी। विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी आवश्यक है। कार्यशाला में लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता जीआर गुजरे ने जल संरक्षण के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते हम सचेत नहीं हुए तो अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा। उन्होंने जल स्त्रोतों में रिचार्जिंग सिस्टम तथा रूफ वाटर हॉर्वेÏस्टग के संबंध में जानकारी दी। कार्यशाला में संयुक्त संचालक कृषि एससी सिंगादिया ने कहा कि कार्यशाला में मिले सभी सुझावों को क्रियान्वित करने के लिए प्रयास तत्काल प्रारंभ होंगे। प्रत्येक जिले में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करके विकासखण्ड स्तर तक की कार्ययोजना तैयार की जायेगी।
कार्यशाला में रीवा, सीधी, सिंगरौली तथा सतना जिले के उप संचालक कृषि ने अपने-अपने जिले की कार्य योजनाएं एवं सुझाव प्रस्तुत किए। संयुक्त संचालक पशुपालन डॉ. राजेश मिश्रा ने ऐरा प्रथा पर नियंत्रण, गौशाला निर्माण, अनुपयोगी पशुओं के बधियाकरण के संबंध में सुझाव दिए। उन्होंने गाय की साहीवाल नस्ल, भैंस की मुर्रा नस्ल, बकरी की जमुनापारी नस्ल तथा कड़कनाथ मुर्गी पालन के संबंध में भी सुझाव दिए। कार्यशाला में जल संरक्षण, फसल चक्र, उद्यानिकी तथा मसाला फसलों, पशु आहार संयंत्र लगाने पंचगव्य केन्द्र बनाने तथा कृषि की आधुनिक तकनीक खेतों तक पहुंचाने के संबंध में उपयोगी सुझाव दिये गये। कार्यशाला में रीवा संभाग के सभी जिलों के कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, लोक निर्माण विभाग, मछली पालन तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी शामिल रहे।

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