डॉक्टर और शिक्षक कभी रिटायर्ड नहीं होते – कमिश्नर डॉ. भार्गव

मेडिकल कॉलेज में डॉ. प्रदीप कुमार को दी गई भावभीनी विदाई
रीवा 01 जून 2019. व्यक्ति की अपने काम और उपलब्धियों से अपने आप ही पहचान बनती है। जिंदगी एक सौगात है जिसे कामयाबी के रंगों से सजाने के लिए मन और मस्तिष्क को मजबूत बनाने की जरूरत है। यह बात कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने मेडिकल कॉलेज के सभागार में मानसिक रोग विभाग के डॉक्टर प्रदीप कुमार की विदाई के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के बारे में बहुत कुछ मिथक हैं। मानसिक रोगी को सामाजिक कलंक के रूप में मानते हैं। इसलिए उनके स्वास्थ्य एवं अधिकार को लेकर अधिनियम बनाया गया है। उन्होंने डॉ. कुमार के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आपने अपने वजूद और जिम्मेदारी को समर्पण भावना के साथ अंजाम दिया। हम आज हैं कल नहीं रहेंगे, होने न होने का सिलसिला चलता रहेगा। उन्होंने इस मौके पर ईश्वर से प्रार्थना की कि डॉ. कुमार इसी तरह आगे भी कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षक और डॉक्टर कभी रिटायर्ड नहीं होते। उन्होंने डॉक्टर कुमार के सुखद और समृद्ध भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि अपने आप को पहचानना परमात्मा को जानना है। समग्र संसार परमात्मा का स्वरूप है। आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग अध्यात्म का मार्ग है। खुशियां हमें तब मिलती हैं जब हम खुशियों को बांटते हैं। इंसान अपने कत्र्तव्य से विमुख हो जाता है तो वह मानसिक रूप से बीमार हो जाता है।
कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह ने डॉ. कुमार को बधाई और शुभकामनाएं दीं और सभी को अध्यात्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर सेवा निवृत्त मानसिक रोग विभाग के डॉ. प्रदीप कुमार ने अपने अनुभव साझा किए और अपने जीवन के अच्छे कार्य करने के लिए उपस्थितजनों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में डीन मेडिकल कॉलेज पीसी द्विवेदी, डॉ. एपीएस गहरवार, डॉ. दिनेश पाठक, डॉ. सी.बी. शुक्ला, डॉ. ज्योति सिंह सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे।

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