मध्यप्रदेश में खनिज संसाधन की व्यापक संभावनाएं – मुख्यमंत्री श्री चौहान

खनिज उत्पादन से पिछले 4 वर्षों मे 6 प्रतिशत खनिज और 23 प्रतिशत राजस्व में वृद्धि-केन्द्रीय खनिज मंत्री श्री तोमर, उद्योग एवं खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल की उपस्थिति मे इंदौर में चतुर्थ राष्ट्रीय माइनिंग कानक्लेव संपन्न

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में चतुर्थ राष्ट्रीय मिलरल्स कानक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में खनिज संसाधन की व्यापक संभावनाएं हैं। वर्तमान में भी खनिज के मामले में देश के 10 प्रमुख राज्यों में से एक हैं। खनिज की खुदाई करते समय हमें पर्यावरण और वन का विशेष ध्यान रखना होगा। खदान नीलामी में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया चल रही हैं। मध्यप्रदेश में जल, जंगल, जमीन और खनिज बहुतायत हैं।
उन्होने कहा कि हमें खदानों की नीलामी और खुदाई को बढ़ावा देना होगा, इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। खदानों माध्यम से हम प्रकृति का दोहन कर सकते है लेकिन शोषण नहीं कर सकते। मध्यप्रदेश में खदानों के लिए सिंगल विन्डो प्रणाली लागू की गई हैं। मध्यप्रदेश में खनिज उद्योग के लिए अपार खनिज उपलब्ध हैं। देश में मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जो सभी राज्य के नागरिकों को आत्मसात करने की क्षमता रखता हैं।
इस अवसर पर केन्द्रीय खनिज मंत्री श्री नरेंन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत में खनिज और जनसंख्या बहुत अधिक हैं। खनिज का दोहन करके हम बेरोजगारी मिटा सकते हैं। देश के कुल क्षेत्रफल का एक चौथाई भाग में खनिज उपलब्ध हैं। हमें इस सम्मेलन के माध्यम से खनिज संसाधनों को प्रचार-प्रसार करना हैं तथा खनिज नीलामी में व्यवसायियों में प्रतिस्पर्धा पैदा करना हैं, जिससे भारत सरकार को अधिकाधिक आय हो। देश में पिछले 4 वर्षों में 43 खनिज ब्लाकों की नीलामी हो चुकी हैं, जिससे भारत सरकार को आने वाले वर्षों में 1 लाख 55 हजार करोड़ रूपये की आय होगी। खनिज दोहन और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा, जिससे पर्यावरण प्रेमी हमारे ऊपर आरोप न लगा सके।
खनिज मंत्री श्री तोमर ने यह भी कहा कि देश में आधुनिक तकनीक और मशीनीकरण के कारण खदानें अब चौड़ी करने के वजह गहरी की जा रही हैं जिससे वन और पर्यावरण को कम से कम नुकसान होगा। उन्होने कहा कि खदानों के आसपास ग्रामीणों और आदिवासियों के पुर्नावास का काम भी पिछले 4 वर्षों से खनिज मंत्रालय ने अपने हाथ में लिया हैं। उनके पुनर्वास के लिए 11 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया हैं। डिस्ट्रिक्ट मिलरल्स फाउंडेशन द्वारा ग्रामीणों के पुर्नावास में मदद मिल रही हैं। खदान के कारण विस्थापितों को भवन, शुद्ध पेयजल और अच्छी शिक्षा का प्रावधान किया जा रहा हैं। विस्थापित लोगों के बड़े पैमाने पर भवन बना कर दिये जा रहें हैं। अधिकांश खदानों की नीलामी सन् 2020 तक समाप्त हो रही हैं। इससे पहले आगे की नीलामी कर दी जायेगी। ऐसी व्यवस्था की गई है कि खदान नीलाम करते समय तीन माह के भीतर वन और पर्यावरण विभाग से स्वीकृति ले ली जाये, जिससे खनिज उत्पादन पर प्रतिकूल असर न पड़े। पिछले 4 वर्षों से 6 प्रतिशन खनिज उत्पादन और 23 प्रतिशत राजस्व में वृद्धि हुई हैं। उन्होने कहा कि खनिज उद्योग से राज्य और केन्द्र सरकार दोनों की आय में वृद्धि हुई हैं। पिछले 4 वर्षों में लोहा, हीरा, सोना का दोहन बढ़ाया गया हैं। मध्यप्रदेश एक खनिज प्रधान राज्य हैं। नेशनल माइनिंग डब्लपमेंट कार्पोरेशन यहां पर हीरे और सोने की खदानों की नीलामी की तैयारी कर रहा हैं। खनन के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाली कंपनियों को पुरस्कृत किया जायेगा। खनन से जुड़ी कंपनियों की ग्रेडिंग की जा रही हैं। चीन, ऑस्ट्रलिया और दक्षिण अफ्रीका में कुल राष्ट्रीय आय का 10 प्रतिशत खदानों से प्राप्त होती हैं, जबकि भारत में खदानों से कुल राष्ट्रीय आय का मात्र 1.4 प्रतिशत की प्राप्त होता हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय खनिज राज्य मंत्री श्री हरिभाऊ चौधरी ने कहा कि पिछले चार वर्षों में नई नीतियों के कारण खदानों की नीलामी में पारदर्शिता आई हैं। राज्य सरकारों को खनिज से 2 लाख रूपये की रॉयल्टी मिलने वाली हैं। खनिज मंत्रालय द्वारा खनिज के नये क्षेत्रों की तलाश की जा रही हैं। आज इस सम्मेलन में प्राप्त सुझावों को परीक्षण उपरांत राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जायेगा।
इस अवसर पर नीति आयोग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने कहा कि हमें जी.डी.पी 7.5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत ले जाना हैं। हमें खनिज उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार भी पैदा करना होगा। खनिज उत्पादन मेक इन इंडिया का अभिन्न अंग हैं। मशीनीकरण के इस युग में पर्यावरण प्रदूषण भी कम से कम हो रहा हैं। हमारे पास इतना अधिक खनिज है कि 600 साल तक खत्म नहीं होगा। चीन की तरह हमें भी खनिज से राष्ट्रीय आय का 10 प्रतिशत भाग प्राप्त करना जरूरी हैं। केन्द्रीय सरकार ऐसी नीतियां बना रहा है कि खनिज के माध्यम से राष्ट्रीय आय में बढोत्तरी हो। संबंधित विभागों से अनुमति लेकर खदानों की नीलामी की जाये। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा देश में 2 लाख हेक्टेयर नई खदानों की खोज की जा रही हैं। खदान उद्योग की रीढ़ हैं। अधिकांश उद्योग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खदानों पर निर्भर हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फेडरेशन ऑफ माइनिंग एसोशिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री संजय पटनायक ने कहा कि खदान नीलामी में राष्ट्रीय स्तर पर पिछले कुछ वर्षों से न केवल पारदर्शिता आई बल्कि पर्यावारण कर भी ध्यान रख गया हैं तथा सर्वोच्च न्यायालय का पालन किया जा रहा हैं। इस सम्मेलन में 21 राज्यों के खनिज मंत्री भाग ले रहें हैं। अब इन राज्यों में भी खनन नीति बनाने समय एकरूपता आयेगी और समन्वय कायम होगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात सचिव डॉ. अरूणा शर्मा ने कहा कि खदान नीलामी में राज्यों के बीच समन्वय जरूरी हैं। राज्यों को खनिज से अच्छी खासी आय होती हैं1 खनिज उत्पादन से देश में उद्योगों को बढ़ावा मिलता हैं। आने वाले वर्षों खनिज उत्पादनों में 25 प्रतिशत तक वृद्धि की जायेगी। यह भ्रम है कि खनिज उद्योगों से प्रदूषण फैल रहा हैं। मशीनीकरण के कारण खनन उद्योग से प्रदूषण 90 प्रतिशत तक कम हुआ हैं। देश के विकास के लिए खनिजों का दोहन जरूरी हैं। हम प्रकृति का शोषण नहीं, दोहन कर रहें हैं। भारत सरकार और राज्य सरकारों में खनिज नीति बनाते समय परस्पर तालमेल जरूरी हैं।
कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन खनिज मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रमुख सचिव खनिज श्री नीरज मंडलोई ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय खनिज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने विशाल खनिज प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। कार्यक्रम खनिज पर आधारित कई पुस्तकों का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश खनिज निगम के अध्यक्ष श्री शिव चौबे, 21 राज्यों के खनिज मंत्री, महापौर श्रीमती मालिनी गौड सहित गणमान्य नागरिक और खनिज उत्पादन कंपनियों के सीईओ और सीएमडी मौजूद थे।

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