मेडिकल कालेज के डॉक्टर गरीब बच्चों को दे रहे हैं नि:शुल्क शिक्षा

रीवा के बुढ़वा गांव निवासी 33 वर्षीय डॉ. राकेश पटेल श्यामशाह मेडिकल कॉलेज रीवा में मेडिसिन विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं। सुबह-शाम मरीजों की सेवा में व्यस्त रहते हैं। पर इस व्यस्तता के बीच बुढ़वा, बरदही, बरेही, गोरगांव, खुज आदि गांवों में शिक्षा की लौ जलाने का काम भी कर रहे हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को अपने मिशन में शामिल किया है।
इन्दौर से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल का अनुबंध पूरा करने वह रीवा आये। डॉ. पटेल ने देखा कि गांव में बच्चों के शिक्षा के लिये कोई खास इंतजाम नही है। चंद पैसों की वजह से वे शिक्षा पाने से बंचित हो जाते हैं। उन्होंने फैसला किया कि अब रीवा में ही रहकर अपने पेशे के साथ गांव-गांव में शिक्षा की अलख जगाएंगे। इस कार्य हेतु उन्होंने “टीच टू ईच” नामक संस्था की स्थापना की और ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करने का कार्य आरंभ किया। डॉ. राकेश पटेल का शिक्षा के प्रति यह जुनून आज गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजियारा फैला रहा है। उनके इस सामाजिक कार्य में अब अन्य सहयोगी मित्र भी अपने समय और धन का योगदान कर रहे हैं। जबकि प्रारंभिक दिनों में डॉ. पटेल ने स्वयं के खर्चे पर ही शिक्षा देने के लिये अन्य शिक्षकों को नियुक्त किया था।
डॉ. पटेल का मुख्य ध्येय है कि वे ग्रामीण बच्चों को नवोदय या ज्ञानोदय जैसे विद्यालयों में दाखिला लेने हेतु तैयार कर सकें, जिससे ये बच्चे वहीं रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर सकें और भविष्य में कुछ बन सकें। वह कहते हैं कि नवोदय में दाखिला हो गया तो फिर वे अपनी राह खुद ढूंढ लेंगे। साथ ही शहर के कांवेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कम्पटीशन कर सकेंगे। तीन साल के प्रयास में पिछले साल जब बुढ़वा गांव के बच्चे बृजेश कुमार यादव का चयन नवोदय स्कूल के लिए हुआ तो डॉ. राकेश की खुशी का ठिकाना नहीं था। इस कामयाबी ने गांवों के ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति जुनून पैदा कर दिया। अब नि:शुल्क चलने वाली क्लास को उम्मीद की नजर से देखते है।
डॉ. पटेल को ग्रामीण जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की ये प्रेरणा बिहार के पटना में आईआईटी की नि:शुल्क तैयारी करवाने वाली संस्था “”सुपर-30″” से मिली। शिक्षा की इस अलख में उनके साथ कई स्कूलों के सेवानिवृत्त प्राचार्य भी जुड़ गए हैं। मेडिकल कॉलेज के कई प्राध्यापक और साथीगण भी इस कार्य में उनके साथ हैं। डॉ. राकेश के जीवन का ध्येय सुशिक्षित समाज है। उनका कहना है कि जब तक समाज शिक्षित नहीं होगा, देश का विकास नहीं हो सकता है।

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