लंदन में शुरु हुआ राष्ट्रमंडल देशों का शिखर सम्मेलन
राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक यानि चोगम लंदन में शुरू हो गया। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौजूदगी में बैठक की औपचारिक शुरूआत हुई। इस दौरान रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किए गए। बैठक में भारत सहित 53 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। करीब 20 सालों बाद ब्रिटेन इस बैठक की मेजबानी कर रहा है। बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ब्रिटेन पहंचे हैं।
चोगम की यह बैठक ऐसे समय मे हो रही है जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ को छोड़ चुका है और राष्ट्रमंडल देशों के साथ संबंधों को नए सिरे से गढ़ने की कोशिश कर रहा है। बैठक के दौरान राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के बीच समान समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा से परिणाम निकलने की उम्मीद है जो लोकतांत्रिक मूल्यों, शांति और समृद्धि के सिद्धांत पर कायम है। दिन की शुरूआत राष्ट्राध्यक्षों के संयुक्त नाश्ते के मंच से हुई जिसमें उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे और चोगम की महासचिव बैरोनेस पेट्रिशिया स्कॉटलैंड ने राष्ट्रमंडल देश के नेताओं का स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रिटेन की प्रधानमंत्री और चोगम की महासचिव ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
बकिंघम पैलेस में चोगम की आधिकारिक उद्घाटन समारोह के समय ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय भी मौजूद थी। उन्होंने इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस मौके पर ब्रिटेन का प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों से मिलकर काम करने का आह्वान किया। बैठक में शांति, समृद्धि, सुरक्षा, व्यापार और निवेश पर ध्यान दिया गया है। इसके अलावा वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को बढ़ाने, संगठित अपराध, साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन पर मुख्या ध्यान है। लैंकास्टर हाउस में चोगम के कार्यकारी सत्र में राष्ट्रमंडल देशों के नेता इकट्ठा हुए। अपने उद्घाटन संबोधन में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री थेरेसा मे सदस्य देशों से समान चुनौतियों से मिलकर निपटने को कहा ताकि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर भविष्य प्रदान किया जा सके।
चोगम की बैठक शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत के दौरान भी राष्ट्रमंडल समूह को फिर से पुनर्जीवित करने पर चर्चा हुई थी। दोनों नेताओं के बीच युवाओं पर ध्यान देने की बात को शामिल किया गया, जिनकी आबादी में 60 फीसदी की हिस्सेदारी है। यह 2009 के बाद पहला मौका है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री चोगम की बैठक में हिस्सा ले रहा है।