प्रधानमंत्री ने बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया
देश भर के 18 बच्चों को उनकी वीरता के लिए प्रधानमंत्री ने 2017 के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया। इनमें से तीन बच्चों को मरणोपरांत उनकी बेमिसाल हिम्मत के लिए वीरता सम्मान मिला।
मासूम सपने, खिलखिलाती आंखें और बचपन के रंग अपने चेहरों पर समेटे कुछ बच्चे इन दिनों देश भर में साहस की मिसाल बने हुए हैं। देश भर के 18 बच्चों को उनकी वीरता के लिए प्रधानमंत्री ने 2017 के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया। इनमें से तीन बच्चों को मरणोपरांत उनकी बेमिसाल हिम्मत के लिए वीरता सम्मान मिला।
इन हंसते हुए चेहरों पर खिली इस मुस्कुराहट के पीछे अदम्य साहस की कहानियां भी छिपी हैं।कुछ कहानियां तो ऐसी हैं जो न केवल कभी न हार मानने वाले जज्बे की निशानी हैं बल्कि ये भी बयां करती हैं कि बहादुरी की कोई उम्र नहीं होती।साहस और हिम्मत के ज़रिए आज देश में बहादुरी की मिसाल बन चुके 18 बहादुर बच्चों को प्रधानमंत्री मरेंद्र मोदी ने 2017 वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया ।इन बहादुर बच्चों में सात लड़कियां और 11 लड़के शामिल हैं।जिनकी उम्र 6 से 18 साल के बीच है।तीन बच्चों को मरणोपरांत उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया।वीरता सम्मान पाने वाले इन बच्चों में 18 साल की नाज़िया को बहादुरी के सबसे बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार भारत अवार्ड से नवाज़ा गया ।नाज़िया ने अपनी जांबाज़ी से उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में कानून तोड़ने वाले कई अपराधियों के दांत खट्टे कर दिए।नाज़िया ने आगरा में चल रहे अपहरण करने वाले गिरोह और जुआं और सट्टा गिरोह का पर्दाफ़ाश करने में भी मदद की थी।ख़ास बात ये है किवीरता पुरस्कार पाने वाले अधिकांश बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं और संघर्षों की आग में तप कर यहां पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री ने इन बच्चों के संघर्ष की सराहना करते हुए कहा कि यहां से उनकी कामयाबी का एक नया सफ़र शुरू होगा।
अन्य बहादुर बच्चों को गीता चोपड़ा ,संजय चोपड़ा ,बापू गैधानी राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों से नवाज़ा गया।ये वीर बहादुर बच्चे भारत के कोने कोने से साहत के इस मंच तक पहुंचे हैं । पुरस्कार के रूप में उन्हें पदक,सर्टिफिकेट और नगद ईनाम दिया गया। बहादुरी की मिसाल बन चुके इन बच्चों के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी एक सम्मान समारोह आयोजित करेंगे साथ ही ये वीर बहादुर बच्चे 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनेंगे।इन बहादुर बच्चों ने अपने अदम्य साहस के बल पर दुनिया को सलाम करने पर मजबूर कर दिया है इन बच्चों ने साबित किया है कि मासूम खेलों में डूबे ये नन्हे फ़रिश्ते ज़रूरत पड़ने पर अपनी हिम्मत और कौशल से हर मुश्किल हालात का रुख़ मोड़ सकते हैं और इस कच्ची उम्र में भी ज़िंदगी के असली नायक बन सकते हैं।