एकात्म यात्रा का दतिया पहुँचने पर हुआ भव्य स्वागत
जनसम्पर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने की अगवानी
राज्य शासन द्वारा सांस्कृतिक, धार्मिक एवं अध्यात्मिक एकता स्थापित करने वाले संत, अद्धैत वेदांत के प्रणेता, सनातन संस्कृति के पुनरूद्वारक, सांस्कृतिक एकता के देवदूत ”आदि गुरू शंकराचार्य” के अतुलनीय योगदान के संबंध में जन-जागरण करने तथा ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापना के लिए धातु संग्रहण करने के उद्देश्य से ”एकात्म यात्रा” का आयोजन राज्य शासन द्वारा किया जा रहा है। यह यात्रा सिंकदरा नाके से आज दतिया पहुँची। रास्ते में गरेरा के पास जनसम्पर्क, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने आदि गुरू की चरण पादुकाओं को नमन कर एकात्म यात्रा की अगवानी की। मंत्री डॉ. मिश्र ने पादुका पूजन कर संतों का आशीर्वाद भी लिया।
यात्रा दतिया जिले में प्रवेश के बाद दतिया शहर पहुँची। मार्ग में उद्गंवा, पलोथरा, डांग करैरा, चैपरा में स्वागत के बाद दतिया शहर में प्रवेश किया। दतिया शहर को तोरण द्वारों से सजाया गया था। शहर में ट्राफिक चौकी पुल के पास, सिविल लाईन, राजघाट तिराहा, माँ पीताम्बरा पीठ, गुरूद्वारा, राजगढ़ चौराहा होते हुए यात्रा बग्गीखाना पहुँची। माँ पीताम्बरा पीठ से किला चौक तक संतश्री की बग्गी में बैठाकर शोभा यात्रा निकाली गई। बाजार में यात्रा का भव्य स्वागत हुआ।
इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष श्री विक्रम सिंह बुन्देला, यात्रा संयोजक विधायक श्री प्रदीप अग्रवाल, सहकसंयोजक श्री प्रमोद पुजारी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रजनी प्रजापति सहित अन्य अधिकारी, जिले के गणमान्यजन और नागरिक उपस्थित रहे। यात्रा में संत श्री परमात्मानंद सरस्वती जी महाराज, पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक, बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा, श्री कबीर पंथी भगवत दास, ब्रह्माकुमारी निकेता बहिन भी शामिल रहीं।
दतिया में बग्गीखाना परिसर में आयोजित संवाद स्थल पर पादुका पूजन एवं दीप प्रज्वलन किया गया। श्री परमात्मानंद सरस्वती ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य का जन्म साढ़े बारह सौ वर्ष पूर्व केरल में हुआ था। उन्होंने आठ वर्ष की अवस्था में ही गृह त्याग कर विखंडित हो रहे भारत वर्ष को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। वह साक्षात भगवान के रूप थे। उन्होंने कहा कि आत्मा एक है जो प्रत्येक जीव में विचरण कर रही है, यही अद्वैत वाद है। उन्होंने दो हजार किलोमीटर पैदल चलकर भारत वर्ष को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया।
श्री सरस्वती ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस यात्रा से लोगों को एकता, अखण्डता और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलेगी। पीताम्बरा पीठ के गुरू श्री चंद्रमोहन दीक्षित ने कहा कि यथा राजा तथा प्रजा। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान धर्म प्रिय है और उन्होंने प्रजा की आध्यात्मिक भलाई, सुख-समृद्धि के लिए एकात्म यात्राओं का आयोजन किया है। इसका लाभ पूरे प्रदेश की जनता को मिल रहा है।