अदम्य पैरवी के प्रकरणों में पुख्ता तथ्य मिलने पर ही प्रकरण को खारिज किया जाए
मुख्य सचिव श्री सिंह ने की चंबल संभाग में राजस्व प्रकरणों की समीक्षा
मुख्य सचिव श्री बसन्त प्रताप सिंह ने हाल ही में भिण्ड जिला मुख्यालय पर चंबल संभाग के राजस्व अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा है कि अदम्य पैरवी के प्रकरणों को तब तक खारिज नहीं करें, जब तक पुख्ता तथ्य नहीं मिल जाए। डायवर्सन के प्रकरणों में राशि जमा होने के बाद ही आदेश पारित किए जाए। राजस्व की सभी सेवाऐं पूरी गुणवत्ता के साथ आम आदमी को उपलब्ध कराई जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि अविवादित नामांतरण, बँटवारा एवं सीमांकन प्रकरणों के निराकरण में राज्य शासन की जीरो टॉलरेंस है। इनके निराकरण में किसी भी प्रकार की लापरवाही और देरी बर्दाश्त नहीं होगी।
बैठक में राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव श्री अरूण पाण्डे, पर्यटन सचिव श्री हरिरंजन राव, प्रमुख राजस्व आयुक्त श्री रजनीश श्रीवास्तव, आयुक्त भू अभिलेख श्री एमके अग्रवाल, चंबल संभाग के कमिश्नर श्री शिवानंद दुबे और जिलों के कलेक्टर आदि उपस्थित थे।
मुख्य सचिव श्री सिंह ने बैठक में कहा कि संभागीय बैठक करने का मुख्य उद्देश्य शत-प्रतिशत राजस्व प्रकरणों को आरसीएमएस (रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम) साफ्टवेयर और दायरा पंजी में दर्ज कराकर प्रकरणों को त्वरित गति से निराकृत करना है। लोगों को अपने राजस्व मामलों के निराकरण कराने के लिए भटकना नहीं पड़े। मुख्य सचिव ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति नवम्बर माह के बाद पुराने अविवादित नामांतरण अथवा बँटवारा का प्रकरण लेकर आएगा, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ जुर्माने की कार्यवाही की जाएगी और प्राप्त जुर्माने की राशि शिकायतकर्ता को दी जाएगी। इसीलिए सभी राजस्व अधिकारी पूरी गंभीरता के साथ राजस्व प्रकरणों का निराकरण सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि पिछली बैठक के बाद अविवादित नामांतरण, बँटवारे के प्रकरणों के निराकरण में गति आई है, लेकिन सीमांकन के मामले अपेक्षा के अनुरूप निराकृत नहीं हो रहे है। उन्होंने कहा कि सीमांकन के लिए टीएस मशीन भी उपलब्ध कराई गई है। इन मशीनों के द्वारा सीमांकन कराया जाए। अगर इसके प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, तो हर तहसील प्लेस पर मास्टर ट्रेनर्स भी उपलब्ध हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि चंबल संभाग के तीनों जिलों में राजस्व प्रकरणों के निराकरण में अच्छा काम हुआ है, लेकिन अदम्य पैरवी के प्रकरणों को बगैर पुख्ता तथ्यों के खारीज किया गया है, यह गलत है। पुख्ता तथ्य के आधार पर ही अदम्य पैरवी के प्रकरणों का निराकरण किया जाए। साथ ही उनका अमल राजस्व अभिलेख में किया जाए। मुख्य सचिव ने जिलेवार राजस्व प्रकरणों की समीक्षा करते हुए कहा कि राजस्व अधिकारी पद की गरिमा के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ निभायें। उन्होंने सरकारी भूमि हस्तांतरण के मामले में पूरी सावधानी एवं सतर्कता बरतने की हिदायत दी।
डायवर्सन के प्रकरणों में राशि जमा होने के बाद ही आदेश
मुख्य सचिव ने संभाग के राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सुनिश्चित करें कि डायवर्सन के प्रकरणों में डायवर्सन की राशि जमा होने के बाद ही आदेश जारी करें। इन प्रकरणों में प्रोएक्टिव होकर कार्यवाही करें।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि पटवारी बस्तों का निरीक्षण करें और ऐसे पटवारी जिनके द्वारा अपने कार्य में रूचि नहीं ली जा रही है एवं लापरवाही बरत रहे हैं, उन पटवारियों के विरूद्व अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि संभाग में बड़ी संख्या में आरसीएमएस राजस्व प्रकरण दर्ज हुए हैं लेकिन इसके बावजूद भी पुराने प्रकरण दर्ज न होने की स्थिति में संबंधित राजस्व अधिकारी के विरूद्व कार्यवाही की जाएगी। सीमांकन के प्रकरणों का भी दर्ज न करना गंभीर मामला है। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि उनके द्वारा जो भी आदेश पारित किए जाएं, उनको अमल कराना भी राजस्व अधिकारी की जवाबदारी है। मुख्य सचिव ने आरआई, पटवारी और रीडर को नियंत्रित करने के निर्देश दिए।
पीठासीन अधिकारी अपने न्यायालयों का बारीकी से करें निरीक्षण
प्रमुख सचिव राजस्व श्री अरूण पाण्डे ने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि पीठासीन अधिकारी के रूप में वे अपने न्यायालयों का बारीकी से निरीक्षण करें। पटवारी हल्कों के निरीक्षण हेतु अभियान संचालित किया जाए। श्री पाण्डे ने कहा कि प्रकरणों के निराकरण में जहां राजस्व शिविर लगाने की जरूरत हो, वहां शिविर लगाए। अधीनस्थ न्यायालयों से प्रकरण नहीं मिलना भी गंभीर बात है। अगर प्रकरण नहीं मिलते हैं, तो संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। उन्होंने प्रत्येक जिले के रिकार्ड रूम को व्यवस्थित करने तथा निर्धारित तिथि के पश्चात नियमानुसार विनिष्टीकरण करने के भी निर्देश दिए।
श्री हरिरंजन राव ने आरसीएमएस सॉफ्टवेयर के बारे में राजस्व अधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आगे से दायर पंजी भी समाप्त होगी, यह कार्य ऑनलाईन होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि राजस्व विभाग द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किया गया है कि आरसीएमएस में प्रकरण दर्ज नहीं होने पर संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। एमपी ऑनलाईन क्योस्क के माध्यम से राजस्व प्रकरण दर्ज कराए जा सकते हैं। इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। उन्होंने आगामी विधानसभा के प्रश्नों के उत्तर भी ऑनलाईन भिजवाने के निर्देश कलेक्टरों को दिए।
प्रमुख राजस्व आयुक्त श्री रजनीश श्रीवास्तव ने भी राजस्व से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लम्बे वर्षो से पटवारियों के पास रखी पंजियों को रिकार्ड में जमा कराने की कार्यवाही की जाए। उच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए सभी नोडल अधिकारी विशेष विधि अधिकारी के संपर्क में रहें तथा जिन प्रकरणों में जवाब नहीं लगे है। उन्हें तत्काल लगवाएं।
भू अभिलेख आयुक्त श्री एमके अग्रवाल ने कहा कि नामांतरण पंजियां पटवारियों के घर पर नहीं राजस्व कार्यालयों में रहनी चाहिए। उन्होंने निरीक्षण प्रतिवेदन को आरसीएमएस में अनिवार्य रूप से अपलोड करने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि राजस्व निरीक्षकों के निरीक्षण नहीं हो रहे हैं। इनके कार्यो का निरीक्षण तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार समय-समय पर करते रहें। उन्होंने दिसम्बर 2017 के अंत तक सभी हल्का पटवारियों के बस्तों को जांच कार्य पूर्ण करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सीमांकन कार्य पर जोर देते हुए कहा कि 15 नवम्बर 2017 तक कुल सीमांकन में से 15-15 सीमांकन करें। चंबल संभाग आयुक्त श्री शिवानंद दुबे ने संभाग के तीनों जिलों में पिछले दो माह में राजस्व के कार्यो की प्रगति की पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी।
हर पटवारी के बस्ते की करें जांच और हर गांव में बी-1 पढ़कर सुनायें
मुख्य सचिव श्री बीपी सिंह ने कहा कि सभी पटवारियों के बस्ते की बारीकी से जांच करें। हर गांव में बी-1 पढ़कर सुनाएं। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई औपचारिक न हो। बी-1 वाचन के बाद फौती के जो नामांतरण प्रकरण सामने आएं, उनका तत्परता से निराकरण करें। उन्होंने कहा कि पटवारी रिपोर्ट के अभाव की वजह से यदि कोई राजस्व प्रकरण लंबित पाया गया, तो संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी जमीन का संरक्षण और राजस्व की वसूली राजस्व अधिकारियों का प्रमुख दायित्व है। इसलिए डायवर्सन, नजूल एवं अर्थदण्ड की वसूली में तेजी लायें। सभी की अलग-अलग पंजियां संधारित करें।ऐसी स्थिति कदापि बर्दाश्त नहीं होगी कि अर्थदण्ड का आदेश तो पारित किया गया, मगर वसूली नहीं की गई। उन्होंने कहा कि डायवर्सन की वसूली पहले बड़े बकायादारों से करें। नगर निगम से नए व्यावसायिक निर्माणों की सूची लेकर डायवर्सन शुल्क निर्धारित करें और उसकी वसूली की जाए।