रेखा पन्द्राम की मेहनत रंग लाई : कोदो-कुटकी की फसल से किसान हुए आत्म-निर्भर
मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिण्डौरी जिले की श्रीमती रेखा पन्द्राम ने जैविक खेती से अच्छी पैदावार लेकर किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया है। श्रीमती रेखा पन्द्राम मूलत: मण्डला जिले की रहने वाली है, इनका विवाह डिण्डौरी जिले के ग्राम फुलवाही विकासखण्ड मेंहदवानी में हुआ है। यह क्षेत्र जिले का पहाड़ी और पथरीला होने के कारण कृषि में पिछड़ा था, लेकिन रेखा पंद्राम ने तेजस्विनी नारी चेतना महिला संघ से जुड़कर मेहनत और लगन से इस पहाड़ी और पथरीले क्षेत्र को कृषि के लिये समृद्धशाली बना दिया है।
रेखा पन्द्राम ने सर्वप्रथम पहाड़ी और पथरीली जमीन में फसल न होने की स्थिति में किसानों को नई तकनीकी से कोदो, कुटकी फसल की पैदावार लेने के लिए प्रेरित किया। किसानों ने रेखा पन्द्राम द्वारा बताई नई तकनीकी से खेती करने की सलाह को पहले तो अनसुना कर दिया। रेखा पन्द्राम ने इसके बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए किसानों को सलाह दी कि अपनी जमीन के 75 प्रतिशत भाग में पुरानी पद्धति और 25 प्रतिशत भाग में नई पद्धति से फसलों की पैदावार करें। किसानों को रेखा पन्द्राम की यह सलाह उचित लगी और उन्होंने इसी आधार पर अपने-अपने खेतों में फसल बोई। किसानों ने देखा कि पुरानी तकनीकी से कम और नई तकनीकी में ज्यादा फसलों की पैदावार हुई है। इससे सभी किसान रेखा पन्द्राम की सलाह को मानते हुए नई तकनीकी से खेती करने लगे हैं।
आज विकासखण्ड मेंहदवानी के 3 हजार से अधिक किसान कोदो, कुटकी की अच्छी फसल ले रहे हैं। कोदो, कुटकी फसल को नई तकनीकी के आधार पर बाजार में प्रस्तुत करने के लिए ग्राम कठोतिया में कोदो प्रोसेसिंग यूनिट भी बनाया गया है। यहां पर 12 महिलाएं काम कर रही है और 3 हजार किसान इससे जुड़े हुए हैं।