महिला सशक्तिकरण समिति की बैठक सम्पन्न

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शासन की प्राथमिकता के विषयों पर मंथन कर सुझाव देने के लिए महिला सशक्तिकरण एवं स्व-सहायता समूह सुदृढ़ीकरण और कुपोषण मुक्त मध्यप्रदेश विषय पर गठित समिति की बैठक मंत्रालय में सम्पन्न हुई। बैठक में जनसम्पर्क, जल-संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री नरोत्तम मिश्र, महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री रुस्तम सिंह सहित अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री बी.आर. नायडू, प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया, प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति श्रीमती नीलम शमी राव, महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

महिला सशक्तिकरण और स्व-सहायता समूहों के सुदृढ़ीकरण पर विचार-विमर्श के दौरान प्रदेश में महिलाओ के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्श के साथ ही देश के अन्य राज्यों तथा दूसरे देशों में क्रियान्वित बेस्ट प्रेक्टिसेज पर भी चर्चा हुई। समिति में महिलाओं से संबंधित सूचकांकों में सुधार के लिए समन्वित रूप से कार्य करने की आवश्यकता बताई गई। साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कौशल उन्नयन, क्षमता विकास के लिए सरलतापूर्वक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने तथा विधिक साक्षरता और जागरूकता के विस्तार की अनुशंसा की गई। समिति ने महिला सशक्तिकरण के लिए सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और प्रशासनिक आयामों पर कार्य-योजना प्रस्तुत करने के साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण और गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए भी सुझाव दिए।

कुपोषण मुक्त स्वस्थ मध्यप्रदेश के लिए प्रस्तुत कार्य-योजना में सभी संबंधित विभागों जैसे महिला-बाल विकास, स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, कृषि:, आदिम-जाति कल्याण तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा समन्वित रूप से कार्य-योजना बनाकर क्रियान्वित करने की आवश्यकता बताई गई। कुपोषण के निवारण के लिए महिलाओं एवं किशोरियों में रक्त अल्पता की स्थिति को दूर करने के उद्देश्य से फेरस एस्कार्बेट की गोलियों का वितरण सुनिश्चित करने और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध किफायती पोषण आहार के संबंध में जागरूकता के लिए विशेष प्रयास करने की अनुशंसा की गई।

बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय चिकित्सालयों की क्षमता, चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि करने की बात कही गई।

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