कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी हर सोमवार को खादी वस्त्र पहनेंगे

विशिष्ट व्यक्तियों का स्वागत गुलदस्ते की जगह खादी वस्त्र या सूत-माला से होगा
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री अन्तर सिंह आर्य ने की विभागीय गतिविधियों की समीक्षा

कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग, मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड, हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम और रेशम संचालनालय के अधिकारी एवं कर्मचारी प्रत्येक सोमवार को खादी के वस्त्र पहनेंगे। वे चाहे तो सप्ताह के अन्य दिनों में भी खादी वस्त्र धारण कर सकते है। यह निर्णय आज कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री अन्तर सिंह आर्य द्वारा विभागीय गतिविधियों की समीक्षा के दौरान लिया गया। इस निर्णय से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मुक्त रहेंगे। विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती वीरा राणा, आयुक्त रेशम और महाप्रबंधक खादी बोर्ड श्रीमती मधु खरे, आयुक्त हाथकरघा एवं प्रबंध संचालक हस्तशिल्प श्रीमती सोनाली वायंगणकर भी मौजूद थे। श्री आर्य ने कहा कि ईको फ्रेण्डली खादी वस्त्रों को प्रोत्साहित करने के लिये विभाग स्वयं से ही शुरूआत करेगा।

श्री आर्य ने आज कुटीर एवं ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम, रेशम संचालनालय और माटीकला बोर्ड की गतिविधियों की समीक्षा की। श्री आर्य ने कहा कि किसी भी घटक की बजट राशि लेप्स नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खादी वस्त्रों को जीएसटी से मुक्त कराने के लिये केन्द्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी को भी पत्र लिखा जायेगा। बैठक में बताया गया कि कुटीर एवं ग्रामोद्योग, मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के प्रकरणों में आगे है। शिल्पियों को आधुनिक परिवेश से जोड़ने के लिये ग्वालियर एवं जबलपुर में निफ्ट भोपाल के माध्यम से ई-कॉमर्स मार्केटिंग में प्रशिक्षण दिलवाया गया है। चंदेरी, बाघ, कोसा, खादी आदि के लोकप्रियता और शिल्पियों को बाजार उपलब्धता के मद्देनजर मुंबई, पुणे, चेन्नई, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, नीमच, चंडीगढ़, बैंगलुरू, रायपुर, जहांगीर आर्ट गैलरी एवं कोल्हापुर में प्रदर्शनियाँ की गईं।

श्री आर्य ने बताया कि ग्वालियर में कालीन पार्क का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, जो इस साल से आरंभ हो जायेगा। चर्मशिल्प विकास निगम द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिसर के सहयोग मुरैना, ग्वालियर व देवास के 30-30 चर्मशिल्पियों को सेन्ट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीटयूट में प्रशिक्षण दिलाया गया। एमपी ऑनलाइन पोर्टल पर करीब 7 हजार शिल्पियों का पंजीयन हुआ है, जिनमें 500 चर्मशिल्पी शामिल हैं। पंजीयन जारी है।

प्रमुख सचिव श्रीमती वीरा राणा ने बताया कि प्रदेश के शिल्प उत्पादों के लिये ‘क्राफ्ट-मार्क’8 प्राप्त किया गया है, जिससे उत्पादों की विश्वसनीयता विश्व स्तर पर बढ़ी है। चंदेरी, सारंगपुर, महेश्वर, वारासिवनी के युवाओं को बुनकर सेवा केन्द्र वाराणसी में प्रशिक्षण दिलवाया गया है। महेश्वर में ग्रामोद्योग विभाग के तीनों घटकों को जोड़ते हुए आधुनिक शॉपिंग काम्पलेक्स तैयार किया गया है, जो इस वर्ष से विक्रय कार्य प्रारंभ कर देगा। प्रदेश के 25 हजार बुनकरों को पहचान पत्र जारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें से 27 हजार बुनकरों को परिचय पत्र जारी किये जा चुके हैं।

 

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