मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही
भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों को चिन्हित करें, सेवा से पृथक किये जाएंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वीडियो कान्फ्रेंस में कलेक्टरों को बताई प्राथमिकताएँ
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को शासन की प्राथमिकताएँ बताते हुए, प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था करने के लिये निर्देशित किया है। उन्होंने कहा है कि चुस्त-दुरूस्त राजस्व प्रशासन, आवास योजनाओं, गरीब कल्याण, कमजोर वर्ग कार्यक्रमों, भूमि पट्टा कानून, भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षा एवं महिला स्व-सहायता समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण, कौशल विकास और रोजगार, कृषि आय को दोगुना करने और डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों का उत्कृष्ट क्रियान्वयन सरकार की प्राथमिकता है। इसके साथ ही 15 से 30 सितम्बर के मध्य किसान सम्मेलन, 11 से 30 नवम्बर तक रोजगार सम्मेलनों, 15 सितम्बर से दो अक्टूबर स्वच्छ भारत अभियान, पर्यटन प्रोत्साहन का 6 से 25 अक्टूबर और वित्तीय समावेशन का 25 सितम्बर से 4 अक्टूबर, महिला स्व-सहायता समूहों का 1 दिसम्बर से 15 फरवरी 2018 तक अभियान चलाकर प्रभावी कार्रवाई के लिये निर्देशित किया। श्री चौहान ने पुलिस अधीक्षकों को भी कानून एवं व्यवस्थाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देने, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समन्वय कर प्रभावी अंग्रिम प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कलेक्टरों से कहा कि सामान्य जिम्मेदारियों के सफल संचालन के साथ ही सरकार के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये प्रभावी, नियोजित, त्वरित परिणामोन्मुखी कार्य-शैली विकसित करे। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार नवाचार करें। प्रगति की प्रतिमाह रिर्पोटिंग शासन को करें। इसी के आधार पर अधिकारियों का वस्तुनिष्ठ आकलन कर मूल्यांकन किया जायेगा। अधिकारों का बेहतर और त्वरित परिणामों के लिये उपयोग करें। उन्होंने राजस्व प्रशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की जरूरत बताते हुए, अविवादित प्रकरणों का 15 नवंबर तक शत-प्रतिशत निराकरण करने के लिये कहा। तिथि के बाद दंडात्मक कार्रवाई होगी। राजस्व न्यायालयों के नियत समय और दिवस निर्धारित रहे। अधिकारी न्यायालय में रहे। उन दिवसों में उनकी वी.आई.पी. ड्यूटी भी नहीं लगायी जाये। गरीब कल्याण कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो। भूमि पट्टा कानून के परिप्रेक्ष्य में सितंबर माह में जिले में निवास करने वाले ऐसे परिवारों को चिन्हांकित कर ले जिनके पास पट्टे हैं अथवा जो बिना पट्टे के हैं। साथ ही जो अनुपयुक्त स्थान पर निवास कर रहे हैं। प्रदेश में अक्टूबर से दिसंबर माह के मध्य ऐसे भूमिहीन परिवारों को निवास के लिये वैधानिक भूमि अधिकार उपलब्ध करवाया जायेगा। अनुपयुक्त स्थान पर वास करने वालों को सम्मानपूर्वक पुनर्वासित किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही। कहा कि योजना क्रियान्वयन में राज्य प्रथम स्थान पर है। कार्य की गति धीमी नहीं हो। ग्रामीण आवास मिशन की उपयोगिता का परीक्षण भी किया जाये। श्री चौहान ने सुशासन के प्रभावी माध्यमों मुख्यमंत्री हेल्प लाइन, लोक सेवा प्रदाय गारंटी कानून, जन-सुनवाई और समाधान ऑनलाईन का बेहतर उपयोग कर जनता में प्रभावी कार्रवाईयाँ का विश्वास अर्जित करने के लिये कहा। शांति एवं व्यवस्था के क्षेत्र में प्रतिबंधात्मक कार्रवाईयाँ तत्परता से करने के निर्देश दिये। पुलिस अधिकारियों के साथ सतत संवाद रखते हुए टीम में काम करने के लिये प्रेरित किया। भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची बनाकर शासन को भेजने की बात कही। ताकि उनको सेवानिवृत्त और सेवा से पृथक करने की नियमानुसार कार्रवाई हो। राज्य स्तर पर भी ऐसी कार्रवाई की जायेगी। कमजोर वर्ग उत्थान के प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने पर विशेष बल दिया। प्रधानमंत्री के मिशन अन्त्योदय की नियमित निगरानी करने के लिए कहा। बताया कि वर्ष 2019 तक 5 हजार 500 ग्राम पंचायतों को गरीबी से मुक्त करना है। इसी तरह किसानों की आय को दोगुना करने के कार्य की गति धीमी नहीं पड़ने पाये। किसान संतानों के लिए संचालित उद्यमी योजना से कृषि उत्पाद मूल्य संवर्धन और कस्टम प्रोसेसिंग और हायरिंग सेंटर्स की स्थापना करवाने की जरूरत बताई। किसान की आय दोगुना करने में विकासखंड मुख्यालयों में होने वाले किसान सम्मेलनों को इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताते हुए कहा कि आयोजन की सफलता के लिए भीड़ नहीं, किसानों और वैज्ञानिकों की प्रतिभागिता संवाद का मापदंड रहें।
मुख्यमंत्री ने मिल बाँचें मध्यप्रदेश का जिक्र करते हुए शिक्षा की गुणवत्ता के लिए पहल की जरूरत बताई। महिलाओं के स्व-सहायता समूहों के सम्मेलन के अनुभवों को बताते हुए समूहों को सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का प्रभावी उत्प्रेरक बताया। उनके प्रभावी और सकारात्मक उपयोग की नवाचारी पहल, के लिए उत्पादों के शासकीय योजनाओं में उपयोग में, उत्पाद विक्रय स्थल, विपणन व्यवस्थाएँ करवाने के लिए प्रोत्साहित किया। कहा कि प्रदेश में 1 लाख 87 हजार महिला स्व-सहायता समूह है। इनसे 22 लाख से अधिक परिवार जुड़े हैं। इनकी आर्थिक गतिविधियाँ प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था को गतिशील कर देगी। उन्होंने बैंकर्स के साथ चर्चा करने और जिला स्तरीय सम्मेलनों में शामिल होने की बात कहीं। साथ ही कुपोषण की समस्या से प्रभावित संकुलों को आँगनवाड़ियों के नियमित संचालन की निगरानी रखने, पौष्टिक आहार दिन में 2 से 3 बार देने, पौष्टिक खाद्य पदाथों की उपलब्धता आदि नवाचारी कोशिशें करने के लिए ताकीद किया। मौसमी संक्रामक रोगों से निपटने के लिए रणनीतिक कुशलता से कार्य करने के लिये कहा। चिकित्सालयों की व्यवस्था प्रभावी रहें, संसाधनों, मैनपॉवर की उपलब्धता पर्याप्त हो और नि:शुल्क जाँचें, दवा वितरण, उपचार सेवाएँ, डायलिसिस आदि पर नियमित नज़र रखने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कौशल विकास और रोजगार कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनवाने के लिए कहा। आई.टी.आई. अच्छी तरह से चलें। प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार अथवा स्व-रोजगार उपलब्ध करवाने पर ध्यान देने की जरूरत बताई। कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग ने 6 लाख 75 हजार प्रशिक्षित अभ्यार्थियों को पंजीकृत कर आधारबेस डाटा तैयार कर लिया है। प्रतिभावान जरूरतमंद को योजना से लाभान्वित करने में, इसका उपयोग करें। उन्होंने डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के प्रयासों में एक शहर और एक ग्राम पंचायत को कैशलेस बनाने के लिए प्रेरित किया। कहा कि योजना बनाकर भीम एप के व्यापक उपयोग, ऑनलाईन पेमेंट डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के प्रयास करवाने, वित्तीय समावेशन की गति को तेज करते हुए बीमा योजनाओं की नियमितता की निगरानी करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि आगामी माह में सभी संभागायुक्त भोपाल में बैठक कर प्राथमिकताओं पर प्रगति की समीक्षा करें। नर्मदा के तटीय 16 जिला कलेक्टरों को चिन्हित 23 विभागों की गतिविधियों, नर्मदा सेवा समितियों और नर्मदा सेवकों के प्रशिक्षण की निगरानी करने और प्रतिमाह समीक्षा करने और प्रतिवेदन योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग को प्रतिमाह उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से कहा कि जिनके यहाँ खनिज कोष में राशि उपलब्ध है, वो राशि के सद्पयोग की कार्य-योजना बनाने और अनुमोदन के लिए राज्य शासन को भेजें। अवर्षा की स्थिति निर्मित होने की आशंका वाले जिलों से 30 सितम्बर की स्थिति में अवर्षा का प्रतिवेदन आगामी 15 अक्टूबर तक भिजवाने के लिए कहा। कलेक्टरों को बताया गया कि प्रतिवेदन दिसम्बर 2016 के मैन्यूल के अनुसार जिला स्तरीय बैठक कर भिजवाया जाये।
पुलिस अधीक्षकों को दिये निर्देश
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि समन्वय बनाकर कार्य करें। संवेदनशील इलाकों, भीड़-भाड़ के क्षेत्रों में पुलिस सड़क पर दिखनी चाहिए। शांति समिति की नियमित बैठकें की जायें। बैठकों में सभी समुदायों के प्रबुद्धगणों को शामिल किया जाये। गुप्तवार्ता की गतिविधियों को सर्वश्रेष्ठ बनाये। नियमित सम्पर्क, संवाद और संप्रेषण से सूचनाओं की त्वरित उपलब्धता हो, ऐसी प्रभावी व्यवस्था करें। असामाजिक तत्व, साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों को अग्रिम रूप से चिन्हित करें। प्रभावी वैधानिक कार्रवाई करें। साम्प्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करने वाले मुद्दों और घटना पर कड़ी निगरानी रखें। सोशल मीडिया पर नज़र रखें। जिला बदर और रासुका की कार्रवाईयाँ बेहिचक करें। आगामी समय उत्सव का है। देखें कि पेयजल, प्रकाश, आवागमन, साफ-सफाई संबंधी व्यवस्थाएँ चाक-चौबंद हो। चल समारोह, जुलूसों की समय रहते व्यवस्थाएँ हो। प्रतिमा का विसर्जन कुंडों में हो, इसके प्रयास करें। गोताखोर और तैराकों की उपलब्धता के साथ आकस्मिकता की कार्य-योजना तैयार रखें। रात्रि गश्त में कोई ढील नहीं दी जाये। अधिकारियों की मुख्यालय पर उपलब्धता सुनिश्चित हो। अवैध उत्खनन में कड़ी कार्रवाई करें। राजसात वाहनों की जानकारी जनसंचार माध्यमों को भी दें।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह, महानिदेशक पुलिस श्री ऋषि कुमार शुक्ला, प्रमुख सचिव उपस्थित थे।