वर्ष 2016 में 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी को भी मिलेगा मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ
विद्यार्थियों के हित में योजना में हुआ संशोधन
मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना में अब वर्ष 2016 या उसके बाद आयोजित 12वीं की माध्यमिक शिक्षा मण्डल की परीक्षा में 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक अथवा सीबीएसई/आईसीएसई की परीक्षा में 85 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। पहले वर्ष 2017 में 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों को ही योजना का लाभ मिल रहा था। अधिक से अधिक विद्यार्थियों को योजना का लाभ दिलवाने के उद्देश्य से योजना में संशोधन किया गया है।
योजना में लाभ के लिये विद्यार्थी के पालक की आय 6 लाख रुपये से कम होना चाहिए। विद्यार्थी का आधार नम्बर भी जरूरी है। ऐसे छात्र जिनके पास आधार नम्बर नहीं हैं, उन्हें 3 माह के अंदर आधार नम्बर प्रस्तुत करना होगा।
इंजीनियरिंग-जे.ई.ई. मेन्स परीक्षा में 50 हजार तक की रैंक वाले विद्यार्थियों द्वारा किसी शासकीय अथवा अशासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने पर उसे सहायता मिलेगी। शासकीय कॉलेज की पूरी फीस (मेस शुल्क एवं कॉशन मनी छोड़कर) दी जायेगी। प्रायवेट कॉलेज की फीस में डेढ़ लाख रुपये या वास्तविक शुल्क (शुल्क समिति द्वारा निगमित, मेस शुल्क एवं कॉशन मनी छोड़कर) जो कम हो, शासन द्वारा दी जायेगी।
यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में पृथक प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है और छात्र की रैंक जेईई मेन्स में 50 हजार के अंदर है, तो उसे भी पात्रता होगी। शासकीय कॉलेज की परिभाषा में अनुदान प्राप्त महाविद्यालय एवं सभी शासकीय विश्वविद्यालय भी सम्मिलित हैं।
बीडीएस के विद्यार्थियों को भी मिलेगा लाभ
मेडिकल-राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से केन्द्र या राज्य के किसी भी शासकीय मेडिकल/डेंटल कॉलेज अथवा मध्यप्रदेश के किसी प्रायवेट मेडिकल कॉलेज/डेंटल कॉलेज में एम.बी.बी.एस./बी.डी.एस. पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर योजना का लाभ मिलेगा। विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य शासन द्वारा दी जायेगी।
नीट अथवा भारत शासन के अंतर्गत ऐसे संस्थान, जो स्वयं के द्वारा आयोजित परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं, को भी योजना में सम्मिलित किया गया है।
शासकीय मेडिकल/डेंटल कॉलेज में शिक्षित डाक्टर 2 वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने को बाध्य होंगे। इन्हें 10 लाख रुपये का बांड भरना होगा। प्रायवेट कॉलेज के छात्रों के लिये यह अवधि 5 वर्ष तथा बांड की राशि 25 लाख रुपये होगी।
लॉ– क्लेट के माध्यम से देश के किसी भी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में बारहवीं कक्षा के बाद के कोर्स की विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य सरकार द्वारा दी जायेगी। मध्यप्रदेश में स्थित भारत सरकार के सभी संस्थानों में संचालित ग्रेजुएशन प्रोग्राम या इंटीग्रेटेड पोस्ट-ग्रेजुएशन प्रोग्राम के कोर्स की विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य शासन द्वारा दी जायेगी।
राज्य शासन के सभी कॉलेज के बी.एससी., बी.ए., बी. काम., नर्सिंग, पॉलीटेक्निक तथा स्नातक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों की फीस सरकार भरेगी। योजना में स्नातक स्तर के लिये विभिन्न संस्थाओं को देय शुल्क के रूप में प्रवेश शुल्क एवं वह वास्तविक शुल्क (मेस शुल्क एवं कॉशन मनी को छोड़कर), जो शुल्क विनियामक समिति अथवा मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग अथवा राज्य शासन द्वारा निर्धारित की गयी है, का ही भुगतान किया जायेगा। शासकीय संस्थाओं के विद्यार्थियों की पूरी फीस संस्था के खाते में दी जायेगी। प्रायवेट संस्थाओं में विद्यार्थियों को देय शुल्क विद्यार्थी के खाते में दिया जायेगा।
छह लाख रुपये तक की आय सीमा के बीपीएल कार्डधारी, अनुसूचित-जाति और अनुसूचित-जनजाति वर्ग के विद्यार्थी, जो उपरोक्त निर्धारित शर्तों के कारण योजना में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, को विशेष प्रकरण मानते हुए विभाग इनके संबंध में सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त कर योजना में सम्मिलित कर सकेगा।
योजना का लाभ लेने वाले विद्यार्थियों को प्रवेशित संस्था के नियम अनुसार विषय तथा पाठ्यक्रम को समय-सीमा में पूरा करना आवश्यक होगा अन्यथा योजना का लाभ नहीं मिलेगा। विद्यार्थी द्वारा राज्य या केन्द्र शासन की किसी अन्य योजना से सहायता प्राप्त होने की स्थिति में वह अंतर की राशि प्राप्त कर सकेगा। मध्यप्रदेश के युवा, जो इस योजना के लाभार्थी होंगे एवं उनका परिवार स्वेच्छा से शिक्षा पूरी होने के बाद मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित फण्ड में उनके जैसे अन्य छात्रों की सेवा के लिये योजना में दी गयी राशि को वापस जमा करा सकेंगे। योजना का क्रियान्वयन संचालनालय तकनीकी शिक्षा द्वारा किया जा रहा है। विभागीय पोर्टल www.scholarshipportal.mp.nic.in के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।