मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के 10 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष
परिश्रम की पराकाष्ठा के जीवंत स्वरूप
लोकहित के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा तक जाने का मूल मंत्र हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के व्यक्तित्व और कृतित्व का सारतत्व है। इन 10 वर्षों में हम सबने इसी मूलमंत्र को फलीभूत भी होते हुए देखा है और स्वयं को ऊर्जान्वित होते हुए भी। सही अर्थों में पूछें तो ममध्यप्रदेश आज प्रगति के जिस-मुकाम तक पहुंचा है उसके पीछे संकल्पों को पूरा करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा का ही प्रतिफल है।
असंभव व मुश्किल से लगने वाले लक्ष्यों को तय करना और फिर उस चुनौती को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा देना उनके स्वभाव में है। प्रदेश में 24 घंटे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने का मिशन कुछ ऐसा ही था। मुख्यमंत्री जी ने तय किया कि हमें पूरे प्रदेश में 24 घन्टे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराकर, अंधेरे के कलंक से मुक्ति पाना है। इसके लिए अटल ज्योति योजना तैयार की गई। योजना के हर पहलुओं पर गंभीरता से विचार मंथन हुआ। बिजली की जरूरत, उसकी आपूर्ति पूरे सिस्टम का संचालन-संधारण और उसकी सतत् निगरानी की त्रुटिहीन प्रणाली तैयार की गई। इसके बाद पूरी टीम जुट गई मिशन को पूरा करने में। कमान खुद मुख्यमंत्री जी ने संभाली। अटल ज्योति योजना को सर्वोच्च वरीयता पर रखते हुए वे खुद एक-एक जिले गए और योजना का शुभारंभ किया।
प्रदेशवासियों ने भाजपा सरकार के पूर्व का समयकाल देखा है। घुप्प-अंधेरे में जीने के अभिशाप को भोगा है। छात्रों की एक समूची पीढ़ी आज भी उन दिनों को कष्ट के साथ याद करती है। किसान भाइयों को आज भी वे दिन याद हैं जब उनकी फसलें बिजली का इन्तजार करते-करते मुरझा जाती थीं। छोटे उद्योग धंधे से लेकर बड़े कारखाने तक उन दिनों बिजली के संकट की मार से ग्रस्त थे। बिजली हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है। वह विकास की हर धडक़न के साथ जुड़ी है। बिजली का कृषि-उद्योग, सामान्य जन-जीवन के साथ इतना गहरा रिश्ता बन चुका है कि अब इसके बिना एक कदम भी आगे बढऩे के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री जी ने जब अटल ज्योति योजना का सबक हमारे सामने रखा और संकल्प दिलाया कि इस मिशन को प्राण-पण से पूरा करना है और निर्धारित अवधि के भीतर, तो आलोचकों ने आसमान सिर पर उठा लिया। वक्तव्य आने लगे कि शिवराज जी की सरकार दिन में सपने देखती है। तमाम तरह के कुतर्क दिए गए कि ये कैसे संभव है। इन स्थितियों के बीच मुख्यमंत्री जी ने हमेशा संबल दिया। स्वामी विवेकानंदजी के मूलमंत्र का स्मरण कराते हुए, उठो-जागो-लक्ष्य प्राप्त करो। आलोचनाओं की परवाह किए बगैर हमारी टीम जुटी और अंतत: प्रदेश को अंधेरे से मुक्त करके ही चैन की सांस ली। आज मध्यप्रदेश, गुजरात के बाद दूसरा ऐसा राज्य है जो बिजली को लेकर आत्मनिर्भर है। जल्दी ही हम पॉवर सरप्लस स्टेट बनने जा रहे हैं। श्री शिवराज सिंह जी की यही विशेषता है कि वे सपने देखते हैं- दिखाते हैं- उसे पूरा करने – पूरा करवाने का माद्दा रखते हैं। लक्ष्य पर उनकी नजर वैसे ही रहती है जैसे चिडिय़ा की आँख पर धनुर्धर अर्जुन की थी। इन 10 वर्षों में लगभग हर क्षेत्र में विकास की क्रांति आयी है। बिजली के क्षेत्र में देखें तो 2004 में इसकी उपलब्धता महज 6 हजार मेगावाट थी अब हम 13 से 14 हजार मेगावाट की उपलब्धता की स्थिति में है। इस बीच बिजली उपभोक्ताओं की संख्या लगभग दो गुनी बढ़ते हुए 65 लाख से 1 करोड़ 10 लाख तक पहुंच गई। मध्यप्रदेश सोलर और विन्ड एनर्जी जैसे वैकल्पिक स्त्रोतों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। नीमच में एशिया के सबसे बड़े सोलर प्लांट ने उत्पादन शुरु कर दिया है। रीवा में गुढ़ के समीप विश्व का सबसे बड़ा सोलर प्लांट लगने की तैयारी है।
नवीन और नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को देश का सिरमौर बनाने का सबक मुख्यमंत्री जी का ही है। योजना की तैयारी और मैदानी स्तर पर प्रयास शुरू है। मुख्यमंत्री जी परिकल्पना है कि पहले प्रदेश के महानगरों में सौर ऊर्जा के उत्पादन का नवाचार शुरू हो फिर पूरे प्रदेश में और एक दिन ऐसा आए कि हम बिजली की खपत का हिस्सा नवकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करें और अन्तत: जर्मनी के शहरों की भांति हमारे शहरों के प्रत्येक घर पावर हाउस में बदल जाएं। घरों में न सिर्फ जरूरत की ऊर्जा का उत्पादन हो अपितु उससे आमदनी भी हों। इसके लिए नेट मीटरिंग प्रणाली तैयार की जा रही है। बेरोजगार युवाओं के लिए संभावनाओं का द्वार ऊर्जा के क्षेत्र में भी खुले यही मुख्यमंत्री जी की प्ररेणा भी है और मंशा भी।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्च में मैंने पाया कि कोई सपना इतना बड़ा नहीं होता कि उसे पूरा न किया जा सके। वे सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर हैं। इतने वर्षों से उनके साथ व सानिध्य में रहते हुए उनमें नकारात्मकता को कहीं दूर-दूर तक नहीं देखा वे सकारात्मक सोच व ऊर्जा से भरपूर दिखाई देते हैं। राजनीति के बहुप्रचारित चलन गुणा-भाग, कांट-छांट से दूर उन्हें सिर्फ जोड़ते हुए ही देखा, महसूस किया। आलोचना और निन्दा पर प्रतिक्रिया करने की बजाय उसे जज्ब करने और फिर दूने आवेग के साथ काम पर जुट जाने की विशेषता उनमें देखी। मध्यप्रदेश के प्रवासों में प्रधानमंत्री सम्मानीय श्री नरेन्द्र मोदीजी भाषण की शुरुआत ही श्री शिवराज जी के व्यक्तित्व कृतित्व की प्रशंसा के साथ करते हैं। वे अन्य प्रदेशों के कार्यक्रमों में उदाहरण देते हैं, श्री शिवराज जी टीम ने किस तरह एक राज्य को बीमारी से निकालकर स्वस्थ्य बना दिया। शीर्ष उद्योगपतियों ने हमारे मुख्यमंत्री व उसके सुशासन पर जैसा विश्वास व्यक्त किया उसका परिणाम 6.75 लाख करोड़ रुपए के निवेश के संकल्प के साथ सामने आया। कृषि के क्षेत्र में 24 प्रतिशत विकास दर के साथ मध्यप्रदेश देश में सर्वोपरि है ही अब शीघ्र ही औद्योगिक विकास में भी यही आंकड़ा छुएंगे।
चरैवेति-चरैवेति निरन्तर चलते रहो, चलते रहो, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के मूलमंत्र को वास्तविकता के धरातल पर यदि किसी ने उतारा तो वे श्री शिवराज सिंह जी हैं। उनकी दिनचर्या और कार्य संस्कृति में आराम को कोई जगह नहीं। यही हमें प्रेरणा देती है। यहीं नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरक भी है। मन की स्वच्छता और हृदय की शुचिता के साथ लिए जाने वाले कोई संकल्प विफल नहीं होते, हमारे मुख्यमंत्री जी उसके उदाहरण हैं।
राजेन्द्र शुक्ल
ऊर्जा, खनिज, जनसम्पर्क
मंत्री (म.प्र.शासन)