वेतन भुगतान अधिनियम में संशोधन के बारे में केन्द्र सरकार का स्पष्टीकरण

मीडिया रिपोर्ट में यह देखने में आया है कि आम धारणा पैदा की जा रही है कि सरकार कामगारों को केवल चैक या खातों में हस्तांतरण के माध्यम से ही वेतन का भुगतान आवश्यक बनाने के लिए वेतन भुगतान अधिनियम में एक संशोधन लाने जा रही है। यह सही स्थिति नहीं है।

यह स्पष्ट किया जाता है कि सरकार ने वेतन भुगतान अधिनियम की धारा 6 में संशोधन लाने का प्रस्ताव किया है जिसमें मौजूदा सिक्कों या करेंसी नोटों में भुगतान के मौजूदा प्रावधानों के साथ भुगतान करने या कर्मचारियों के बैंक खाते में वेतन जमा करने का प्रावधान होगा।

ऐसा सिक्कों या करेंसी नोटों में भुगतान करने की मौजूदा प्रणाली के अलावा कर्मचारियों को बैंकिंग सुविधाओं का उपयोग करने के अलावा कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने की सुविधा के लिए किया जा रहा है।

इसके अलावा उचित सरकार (केंद्र या राज्य) औद्योगिक या अन्य प्रतिष्ठानों को निर्दिष्ट करने के लिए अधिसूचना जारी करेगी जिसमें नियोक्ता चैक के माध्यम से या कर्मचारियों के खाते में वेतन जमा करके भुगतान कर सकेंगे। इसलिए यह स्पष्ट है कि वेतन का भुगतान करने के लिए नियोक्ता के सामने नकदी के माध्यम से भुगतान करने का विकल्प अभी भी उपलब्ध है।

यह समझा जा सकता है कि वेतन भुगतान अधिनियम वर्ष 1936 में (80 वर्ष पहले) पारित किया गया था और उस समय जो स्थितियां प्रचलित थी वे अब वे तकनीकी क्रांति में पूरी तरह से दब गई हैं। आज अधिकांश लेनदेन बैंक चैनलों के माध्यम से हो रहा है। श्रम और रोजगार मंत्रालय का इस अधिनियम की धारा 6 में संशोधन लाने के प्रस्ताव में सिक्कों या करेंसी नोटों में भुगतान के मौजूदा प्रावधानों के साथ-साथ चैक द्वारा भुगतान करने या कर्मचारियों के बैंक खाते में वेतन जमा करने का प्रावधान भी होगा।

ऊपर प्रस्तावित संशोधन से कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन का भुगतान सुनिश्चित होगा और उनकी सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की भी सुरक्षा होगी। इस प्रकार नियोक्ता अपने प्रतिष्ठानों के ईपीएफओ या ईएसआईसी योजनाओं में कर्माचारियों को शामिल होने से रोकने के लिए प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की कम संख्या नहीं बता सकेंगे

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