विस्थापन मुआवजा – मतलब निकल गया तो सरकार पहचानते नहीं
विस्थापन मुआवजा – मतलब निकल गया तो सरकार पहचानते नहीं

सरसी आइलैंड जो शहडोल जिले के बाणसागर बांध के बैकवॉटर क्षेत्र में है। पहले यहां लोगों की बस्ती थी। इसी सरसी गांव का विस्थापन करके मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा आइलैंड बनाया गया है ।यहां विस्थापन के 25 साल बाद भी कई आदिवासी परिवारों सहित गांव के सैकड़ों लोगों को आज तक मुआवजा नहीं मिला।
परेशान लोग तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर, विधायक ,उपमुख्यमंत्री सबसे मिलकर निवेदन कर चुके लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला।
समाचार पत्र के समाचार अनुसार यहां से विस्थापित किए गए सौखीलाल कोल, विष्णु कोल, दिन्नू कोल, सुमित्रा नामदेव, तारा चंद्र लोनी, रामनरेश नामदेव व सुखनंदन सोनी सहित अन्य प्रभावित परिवार विधायक से मिले तो यहां भी उन्हें पत्र के रूप में केवल आश्वासन मिला।
सरकार इसका लोकार्पण जल्द से जल्द करना चाह रही है इसी तारतम्य में रीवा विधायक और मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का भी यहां आगमन हुआ पीड़ित लोगों ने इनसे भी मिलकर अपनी बात कही लेकिन मिला केवल आश्वासन।
बाणसागर के बैकवॉटर में 23 एकड़ द्वीप पर बसे सरसी आइलैंड पर मध्य प्रदेश पर्यटन निगम एमपीटी द्वारा रिजॉर्ट तैयार करवाया गया है जिसका इसी माह लोकार्पण प्रस्तावित है । नरेंद्र धुर्वे एसडीएम व्यवहारी द्वारा जानकारी दी गई है कि प्रभावित परिवारों को मुआवजा न मिलने की जानकारी के बाद सर्वे कराया गया । 150 ऐसे परिवार हैं जिनको मुआवजा की राशि नहीं मिली है उनकी इसमें कार्यवाही की जा रही है।
ऐसा ही हादसा मेरे साथ भी हुआ है। सतना रीवा रोड पर रामपुर बघेलान के पास बाईपास बनाया गया है जो सगौनी गांव से निकलता है। यहां पर मेरी जमीन से सड़क निकाल दी गई लेकिन उसका मुआवजा आज तक नहीं मिला ।ऐसे 25 लोग हैं जिनको सड़क बनने के बाद केवल आश्वासन का झुनझुना मिला है।
पिछले 5 वर्षों से रामपुर बघेलान तहसीलदार, एसडीएम तथा कलेक्टर कमिश्नर विधायक तथा उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला से लगातार निवेदन किया गया लेकिन आज तक प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं मिला ।क्योंकि मैं उसी गांव का हूं और प्रभावित भी , रीवा से रामपुर उसी रास्ते से आना जाना पड़ता है यहां बेला के आगे टोल लगता है मैं भी टोल देता हूं। मेरी जमीन लेकर सड़क बना दी गई है उसमें टोल लगने लगा है लेकिन मुझे मुआवजा नहीं मिला ।
मैं उस सड़क से चलने का टोल भरने लगा जब तक यह सड़क नहीं बनी थी तो यहीं लोग जो आज सुन नही रहे मेरे बड़े भाई से तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर तथा विधायक रोज बात करते थे मुआवजा तुरंत मिलने का आश्वासन देते थे लेकिन सड़क बनने के बाद मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं वाली स्थिति है।
अजय नारायण त्रिपाठी “ अलखू “
26 -10- 2024
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