आध्यात्मिक ऊर्जा सुदृढ़ होगी तो नहीं होगा तनाव – राजयोगिनी ऊषा दीदी
आध्यात्मिक ऊर्जा सुदृढ़ होगी तो नहीं होगा तनाव – राजयोगिनी ऊषा दीदी
योग, ध्यान और आध्यात्म को जीवन में उतारने से तनाव मिटेगा – कमिश्नर
रीवा 25 सितम्बर 2024. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में तनाव प्रबंधन में आध्यात्म की भूमिका विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। समारोह की मुख्य वक्ता राजयोगिनी ब्राम्हकुमारी ऊषा दीदी ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी रूप में तनाव होता है। जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो हमें आसानी से रोग लग जाते हैं। उसी तरह जब हमारे मन में आध्यात्मिक ऊर्जा मंद पड़ जाती है तो तनाव का प्रकोप होता है। आध्यात्मिक ऊर्जा सुदृढ़ होगी तो जीवन में तनाव नहीं होगा। जिस तरह शरीर को सुदृढ़ करने के लिए अच्छा पोषण और व्यायाम आवश्यक है उसी तरह मन को सुदृढ़ करने के लिए अच्छे सकारात्मक विचार आवश्यक हैं। हमारा चिंतन जैसा होगा वैसा ही हमारा जीवन भी होगा।
राजयोगिनी ऊषा दीदी ने तनाव के कारण और जीवन में आध्यात्म के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जब हम भीतर से यानी मन से कमजोर होते हैं तो हम पर परिस्थितियाँ हावी हो जाती हैं। किसी भी व्यक्ति की बातों अथवा कार्यों से हमारा मन तनाव से भर जाता है। हमने अपने मन का नियंत्रण दूसरे को सौंप दिया है। हम रिमोट से संचालित होकर अपने जीवन को तनाव से भर देते हैं। तनाव हमेशा दुख और पीड़ा का संदेश लेकर आता है। हम जब कुछ परिवर्तन करना चाहते हैं तब भी तनाव होता है। जीवन में तनाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का होता है। सकारात्मक तनाव आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। नकारात्मक तनाव दुख का कारण बनता है। जब हमारी आध्यात्मिक शक्ति कमजोर होती है तो मन में आशंका, गलतफहमी पैदा होती है। यह अकेले नहीं आती। इसके साथ मन में द्वेष, दूसरों की आलोचना और क्रोध आता है। ये सब मिलकर जीवन को तनावग्रस्त बना देते हैं।
राजयोगिनी ऊषा दीदी ने कहा कि हर दिन सुबह उठकर अच्छे विचारों के साथ ध्यान करके मन और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें। आध्यात्म और धर्म दोनों अलग-अलग हैं। धर्म हमें बंधनों में बांधता है और आध्यात्म मन को ईश्वर के समीप ले जाता है। अध्ययन और ज्ञान से मन और आत्मा पर आधिपत्य स्थापित करना ही आध्यात्म है। इसलिए धार्मिक होने से अधिक आवश्यक है कि हम आध्यात्मिक हैं। समारोह में कमिश्नर बीएस जामोद ने कहा कि आज हमें जीवन को सरल, सहज और आनंदमय बनाने के मूलमंत्र मिले हैं। सभी व्यक्ति इन्हें जीवन में उतारें। योग, ध्यान और आध्यात्म से जीवन का तनाव दूर होगा। तभी हमारे जीवन में सुख और शांति आएगी। हर परिस्थिति में विजयी रहने का भाव हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा। समारोह में कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल, अपर कमिश्नर अरूण परमार, ब्राम्हकुमारी संस्था की बीके निर्मला दीदी, बीके प्रकाश, वन मण्डलाधिकारी अनुपम शर्मा, सेवानिवृत्त प्रोफेसर एनपी पाठक तथा बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन आनंदम विभाग, जन अभियान परिषद तथा प्रजापिता ब्राम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। समारोह का समापन जन अभियान परिषद के संभागीय समन्वयक प्रवीण पाठक द्वारा आभार प्रदर्शन से हुआ।