हर निराश्रित गौवंश को मिलेगा आश्रय – जिले में तैयार हो रहा रोडमैप
रीवा 06 फरवरी 2023. जिले की आजीविका का आज भी मुख्य आधार खेती है। बाणसागर बांध की नहरों ने खेतों से मिलने वाली उपज को कई गुना बढ़ा दिया है। खेती परंपरागत रूप से हल बैलों से की जाती थी। गांव की सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक व्यवस्था तथा खेती की तकनीक में परिवर्तन होने से खेती में पशुओं का उपयोग लगभग समाप्त हो गया। खेती तथा पशुपालन एक-दूसरे से जुड़े हुए व्यवसाय थे। अब पशुपालन केवल दूध अथवा मांस के लिए किया जाता है। खेती से इसका नाता लगभग समाप्त हो गया है। जिले में आज भी लाखों गौवंश हैं। इनमें से अधिकांश निराश्रित होकर खेती को नुकसान पहुंचाने वाले तथा सड़क दुर्घटना के कारण बन रहे हैं। इस समस्या के निदान के लिए एक ओर जहाँ गौशालाओं तथा गौ अभ्यारण्य का निर्माण किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर निराश्रित गौवंश को गौशालाओं तथा अभ्यारण्य में पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। गौवंश को निराश्रित छोड़ने वाले पशुपालकों पर जुर्माने की भी कार्यवाही की जा रही है।
कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित बैठक में कलेक्टर मनोज पुष्प ने निराश्रित गौवंश को आश्रय देने के लिए तैयार किए जा रहे रोडमैप की समीक्षा की। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि नक्शे में गौशालाओं को चिन्हित कर दिया गया है। जिले में बसामनमामा में गौवंश वन्य विहार संचालित है जहाँ हजारों गौवंश को आश्रय दिया गया है। इसके अलावा विकासखण्ड मऊगंज में सीतापुर, विकासखण्ड जवा में घूमन तथा विकासखण्ड गंगेव में हिनौती में गौवंश वन्य विहार स्थापित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इनका निर्माण शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है। जिले भर में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा तैयार गौशालाओं का संचालन स्वसहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अधूरी गौशालाओं का निर्माण शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं। उप संचालक पशुपालन सभी गौवंशीय पशुओं की टैगिंग कराएं। कलेक्टर ने कहा कि निराश्रित गौवंश को आश्रय देने तथा ऐरा प्रथा पर नियंत्रण के लिए आमजनों एवं पशुपालकों के सहयोग से प्रभावी उपाय किए जाएंगे। बैठक में अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह, डिप्टी कलेक्टर संजीव पाण्डेय, उप संचालक पशुपालन डॉ राजेश पाण्डेय तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।