विश्व स्तनपान सप्ताह के संबंध में कार्यशाला संपन्न

रीवा 05 अगस्त 2022. कलेक्ट्रेट सभागार में विश्व स्तनपान सप्ताह के संबंध में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि शिशु के लिए माता का दूध अमृत के समान है। इस तथ्य को हर कोई जानता है। कई पारिवारिक और सामाजिक बंधनों तथा आधे-अधूरे ज्ञान के कारण हम इस तथ्य की उपेक्षा कर देते हैं। भोजन बनाने के बाद पहली रोटी जिस तरह गाय को दी जाती है उसी तरह पहली रोटी बेटी और बहू को दी जाए। उनके पोषण पर परिवार पूरा ध्यान रखे। किशोरियों की स्वास्थ्य रक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। उनकी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर परिवार में चर्चा होनी चाहिए जिससे उनकी समस्याओं का निदान हो। बेटी, बहू और किशोरियों के उचित पोषण तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए परिवार का दृष्टिकोण बदलना आवश्यक है।

कलेक्टर ने कहा कि आधे-अधूरे ज्ञान से कई गलत धारणाओं ने परिवार में स्थान बना लिया है। ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दे दी जाती हैं। गर्भवती महिला को 6 माह की गर्भावस्था से ही सुरक्षित प्रसव तथा शिशु को जन्म के पहले घण्टे में स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करें। किलकारी अभियान के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता तथा प्रसव के बाद देखभाल करने वाली नर्सें महिला की काउंसलिंग करें। गर्भवती महिला के परिवार के सदस्यों विशेषकर महिलाओं की भी काउंसलिंग आवश्यक है। शासन के साथ-साथ समाज को भी इसमें भागीदारी निभानी चाहिए। माता स्वस्थ होगी तो उसका शिशु स्वस्थ होगा। माता छ: माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराए। उसे किसी अतिरिक्त आहार की आवश्यकता नहीं है। इस अवधि में माता को उचित पोषण आहार देना चाहिए।

कलेक्टर ने कहा कि परिवार में महिलओं को सबसे पहले भोजन देने की परंपरा शुरू की जाए। कामकाजी महिलाओं को शिशु को जन्म देने के बाद पर्याप्त अवकाश मिले जिससे वह शिशु की उचित देखभाल कर सके। महिलाओं तथा किशोरियों की शारीरिक एवं मानसिक कठिनाईयों को दूर करने के लिए परिवार के सदस्य ही प्रयास करें। बच्चे को घर में बनने वाले परंपरागत भोजन दाल-चावल, रोटी-सब्जी से ही पर्याप्त पोषक तत्व मिल जाते हैं। अनावश्यक दवाओं तथा खाद्य पदार्थों का सेवन बच्चों को न कराएं। परिवार और समाज में किशोरियों तथा महिलाओं से स्वस्थ संवाद की परंपरा बनाकर ही कई समस्याओं को हल किया जा सकता है।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाण्डेय ने कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी दी। कार्यशाला में डॉ शैलबाला ने कहा कि परिवार और समाज की गलत परंपराओं को तोड़ना होगा। शिशु को अधिक से अधिक समय अपनी माता के पास रहना चाहिए। सार्वजनिक स्थलों तथा कार्यालयों में महिलाओं को शिशु को स्तनपान कराने के लिए उचित स्थान की व्यवस्था करना आवश्यक है। शिशु के लिए माता का दूध ही सर्वोत्तम है। जब हम उसे अन्य कोई आहार या पेय पदार्थ नहीं देंगे तो शिशु अधिक से अधिक माता का स्तनपान करेगा। कार्यशाला में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ज्योति सिंह ने कहा कि सभी माताएं शिशु को जन्म देने के पहले घंटे में स्तनपान अवश्य कराएं। शिशु को प्रथम स्तनपान में मिलने वाला कोलेस्ट्रम उसके लिए रोगों से बचाव का कवच एवं उचित पोषण है। स्कूल तथा कालेज में स्वास्थ्य जागरूकता संबंधी कार्यक्रम आयोजित करके किशोर और किशोरियों को जागरूक किया जाए। कार्यशाला में शिशुओं की स्वास्थ्य रक्षा, कुपोषण पर नियंत्रण तथा महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच के संबंध में भी चर्चा की गई। कार्यशाला का संचालन सहायक संचालक आशीष द्विवेदी ने किया। कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनएन मिश्रा, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, चिकित्सकगण उपस्थित रहे।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *