महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के तहत आन्तरिक परिवाद समिति गठित करें
रीवा 07 जुलाई 2022. महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के तहत ऐसे विभिन्न विभागों जहां पर 10 या दस से अधिक कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं वहां आन्तरिक परिवाद समिति गठित करने के निर्देश दिये गये हैं। यदि कोई अधिकारी अपने विभाग में आन्तरिक परिवाद समिति का गठन नहीं करता है तो 50 हजार रूपये तक जुर्माना होगा।
कार्य स्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम 2013 की धारा-4 के अन्तर्गत जिले के विभिन्न विभाग, संगठन, उपक्रम, संस्था, शासकीय एवं अशासकीय, प्राइवेट सेक्टर, सोसायटी, दुकान, बैंक, सहकारी संस्थाएें, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाएें, उद्यम, मनोरंजक संस्थाएें, अस्पताल, स्टेडियम, खेल कूद संस्थान, निवास गृह आदि जहां 10 या दस से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं वहां आन्तरिक परिवाद समिति गठित करना अनिवार्य है। अधिनियम की धारा-5 (सात) के अन्तर्गत आन्तरिक परिवाद समिति का पीठासीन अधिकारी और हर सदस्य अपने नामांकन की तारीख से तीन वर्ष से अनधिक ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेगा। जैसा की नियोजक द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाय।
आन्तरिक परिवाद समिति में वरिष्ठ स्तर की महिला समिति की पीठासीन अधिकारी होगी। कर्मचारियों में से दो ऐसे सदस्य होंगे जो महिलाओं की समस्याओं से प्रतिबद्ध हैं या जिनके पास समाज सुधार कार्य या विधिक ज्ञान है। गैर सरकारी संगठनों या ऐसोसियेशन का एक सदस्य जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध है या ऐसा कोई व्यक्ति जो लैंगिक उत्पीड़न संबंधित मुद्दों से परिचित हो। समिति में कम से कम आधी सदस्य महिलाएें होगी तथा एक पुरूष का होना अनिवार्य है। निर्देश दिये गये हैं कि अपने-अपने विभागों में आन्तरिक परिवाद समिति का गठन कर निर्धारित प्रारूप में कार्यालय में इसका बोर्ड चस्पा करें। समिति के गठन का प्रमाण पत्र निर्धारित प्रारूप में 15 दिवस के अन्दर कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।