मिलावट रोकने के लिये हर व्यक्ति का जागरूक होना आवश्यक है – कलेक्टर
रीवा 11 अक्टूबर 2021. कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में अधिकारियों को खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा मैजिक बॉक्स के माध्यम से खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कहा कि मिलावट रोकने के लिये हर व्यक्ति का जागरूक होना आवश्यक है। खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच घरेलू तरीके तथा थोड़े से केमिकल के उपयोग से की जा सकती है। मिलावट एक तरह का धीमा जहर है। यह हमारे स्वास्थ्य को लगातार हानि पहुंचाता है। खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण हमें कई शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मिलावट हमें आर्थिक रूप से भी हानि पहुंचाती है। हम जिस गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ की राशि अदा करते हैं मिलावट के कारण उससे कम गुणवत्ता की सामग्री हमें मिलती है। कलेक्टर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के विरूद्ध लगातार कड़ी कार्यवाही करें। खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर उनकी नियमित जांच कराये। इसके साथ-साथ आमजनता को भी मिलावट का पता लगाने के लिये जागरूक करें।
बैठक में जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी साबिर अली ने बताया कि मैजिक बॉक्स से 101 तरह की जांच की जा सकती है। इसके माध्यम से दूध तथा दूध से बने पदार्थों, खड़े एवं पिसे मसाले, चाय, नमक, आदि की आसानी से जांच की जा सकती है। थोड़े से केमिकल खरीदकर कोई भी व्यक्ति खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच सरलता से कर सकता है। बैठक में अधिकारियों को खाद्य सुरक्षा अधिकारी शकुंतला मिश्रा तथा खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित कुमार तिवारी ने विभिन्न पदार्थों की जांच करके मिलावट जांचने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। बैठक में बताया गया कि दूध की शुद्धता की जांच लैक्टोमीटर से की जाती है। शीशे की प्लेट पर दूध की कुछ बूंदे डालने पर यदि वह सफेद दाग बनाते हुए नीचे बहती है तो दूध शुद्ध है। यदि उसमें पानी की मिलावट है तो बिना दाग छोड़े हुए दूध नीचे बहेगा। दूध में यूरिया की मिलावट होने पर उसकी जांच अरहर दाल के पाउडर डालकर लिटमस पेपर से की जा सकती है। बैठक में बताया गया कि दूध अथवा दही में स्टार्च की मिलावट होने पर उसकी थोड़ी सी मात्रा में आयोडीन घोल की कुछ बूंदे डालने पर दूध और दही का रंग काला पड़ जाता है। यदि उनमें मिलावट नहीं है तो रंग में परिवर्तन नहीं होता है। इसी तरह पनीर तथा खोवे से बनी मिठाईयों का भी आयोडीन घोल से परीक्षण करने पर यदि रंग काला पड़ जाता है तो इनमें स्टॉर्च की मिलावट की गई है। शुद्ध होने पर रंग में परिवर्तन नहीं होगा।
बैठक में बताया गया कि मिठाईयों में चांदी के वर्क का उपयोग किया जाता है। असली वर्क हाथ में लेकर दबाने पर पूरी तरह से गायब हो जाता है। इसके स्थान पर सस्ते एल्युमीनियम की वर्क का उपयोग यदि मिठाई की सजावट में किया गया है तो उसकी मोटी परत अलग से दिखायी देगी एवं हाथ से मसलने पर गायब नहीं होगी। खड़ी हल्दी अथवा हल्दी पाउडर की थोड़ी सी मात्रा कांच के ग्लास में थोड़े से पानी में डालें। जिनमें रंग की मिलावट होगी उनमें अधिक गाढ़ा रंग दिखायी देगा। खड़ी हल्दी हाथ में मसलने पर हल्का रंग आये तो वह शुद्ध है। यदि उसमें रंग मिलाया गया है तो हाथ में गहरा रंग आयेगा। काली मिर्च में पपीते के बीज की मिलावट का पानी में डालकर जांच की जा सकती है। बीज मिले होने पर वे पानी में तैरेंगे। चाय की पत्ती में लोहे की छीलन की मिलावट को चुंबक से जांचा जा सकता है। मिर्ची के पाउडर की थोड़ी सी मात्रा यदि पानी में छोड़ेंगे तो शुद्ध होने पर हल्का रंग आयेगा। गहरा लाल रंग आने पर इसमें मिलावट होगी। बड़े आयोजनों तथा चाट की दुकानों में आकर्षक रंग के लिये महाराजा पाउडर का उपयोग किया जा रहा है। जबकि इसके रैपर पर अखाद्य लिखा हुआ है। यह केवल लकड़ी का रंगीन चूर्ण है। पानी में डालने पर यह चूर्ण आसानी से नीचे मिल जाता है। सभी तरह के मसालों तथा खाने में उपयोग किये जाने वाले रंगों में हरा निशान एवं एफएसएसआई की सील होना अनिवार्य है। ऐसे निशान जिनमें नहीं हैं वे अमानक रंग हैं। बैठक में आयुक्त नगर निगम मृणाल मीणा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े, अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएल मिश्रा तथा संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।