प्रत्येक नागरिक द्वारा मताधिकार का प्रयोग करने से सशक्त होगा लोकतंत्र

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने 10वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मिंटो हॉल में आयोजित राज्य-स्तरीय समारोह में कहा कि जब देश का प्रत्येक नागरिक निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा, तब ही हमारा लोकतंत्र सशक्त होगा। उन्होंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिये कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के नागरिक हैं।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस का आयोजन, मतदाताओं को जागरूक बनाने और नये मतदाताओं को मतदान का लोकतांत्रिक महत्व समझाने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का सबसे बड़ा सबूत यह है कि दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र खत्म हुआ, लेकिन हमारा लोकतंत्र अभी भी कायम है। दुनिया हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का सम्मान करती है।

अपर मुख्य सचिव श्री एम. गोपाल रेड्डी ने समारोह में बताया कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदेश में मतदान के प्रतिशत में निरंतर वृद्धि हुई है। यह सब भारत निर्वाचन आयोग की सक्रियता से संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि हर वर्ग और हर उम्र के मतदाताओं को मतदान-केन्द्र तक लाने और वापस ले जाने जैसी मूलभूत सुविधाओं से मतदाताओं में जागरूकता आई है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्यप्रदेश श्री व्ही.एल. कांताराव ने इस मौके पर देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का संदेश पढ़कर सुनाया। राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री बी.पी. सिंह, निर्वाचन आइकॉन श्री राजीव वर्मा, श्रीमती दिव्यंका त्रिपाठी दाहिया और सुश्री दिशा जैन समारोह में शामिल हुए।

युवा मतदाताओं को इपिक वितरण

राज्यपाल श्री टंडन ने समारोह में 10 युवा मतदाताओं को इपिक वितरण किया। इस मौके पर विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन स्लोगन, निबंध, चित्रकला और वाद-विवाद प्रतियोगिता के प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त 30 छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत कर प्रशस्ति-पत्र प्रदान किये गये। साथ ही, लोकसभा निर्वाचन-2019 में श्रेष्ठ कार्य करने वाले निर्वाचन अधिकारियों, नगर निगमों के आयुक्त, उप जिला निर्वाचन अधिकारियों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को भी पुरस्कृत किया गया।

मताधिकार का प्रयोग करने की शपथ

राज्यपाल श्री टंडन ने समारोह में उपस्थित मतदाताओं को प्रत्येक निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करने की शपथ दिलाई। शपथ कुछ इस प्रकार थी- हम, भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं की मर्यादाओं को बनाये रखेंगे तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की प्रक्रिया को अक्षुण्ण रखते हुए निर्भीक होकर, धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

 

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