आयुर्वेद को पुर्नस्थापित करने के लिए भरसक प्रयास करें – कमिश्नर डॉ. भार्गव
भगवान धनवंतरी जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
एवं दीपावली मिलन समारोह मनाया गया
रीवा 03 नवम्बर 2019. विश्व आयुर्वेद परिषद जिला रीवा द्वारा स्थानीय मानस भवन में भगवान धनवंतरी जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं दीपावली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने आयुर्वेद को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए समझाइश दी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को पुर्नस्थापित करने के लिए भरसक प्रयास करना जरूरी हैं।
कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कार्यक्रम में उपस्थित आयुर्वेद के विद्यार्थियों एवं जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारी प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। इसे पुर्नजीवित करने की हमारे समक्ष बड़ी चुनौती है। आयुर्वेद के होनहार विद्यार्थी यदि प्रण करें तो दुनिया की कोई भी ताकत आयुर्वेद को लोकप्रिय होने से नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार होगा तो लोगों में आयुर्वेद के प्रति चेतना जागृत होगी।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि आयुर्वेद का ज्ञान स्वस्थ समाज की अमूल्य निधि है। आयुर्वेद की अमूल्य ज्ञान संपदा हमारी धरोहर है। इसे बनाये रखना हम सभी का कत्र्तव्य है। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि कोई भी इंसान बीमार होने पर तत्काल लाभ चाहता है। एलोपैथिक दवाओं से तत्काल लाभ तो मिल जाता है लेकिन भविष्य में होने वाले दुष्प्रभाव वह नहीं देखता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रोगी का इलाज समग्र रूप से करती है। आयुर्वेद की ज्ञान संपदा पर अंधकार की जो परत जमी हुई है उसे हटाने की जरूरत है। यह तभी संभव है जब आयुर्वेद के प्रति लोगों में चेतना जागृत होगी और आयुर्वेद का ज्ञान जन-जन तक पहुंचेगा।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि आज के बदले हुए परिवेश में जो लोग संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं उनमें आयुर्वेद का ज्ञान रोपित करना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि लोग अपना आचार-विचार तथा आहार-विहार उत्कृष्ट श्रेणी का रखेंगे तो शरीर स्वस्थ रहेगा। हमारा शरीर स्वास्थ्य का मंदिर भी है। आयुर्वेद न केवल हमारे स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखता है बल्कि यह हमें निरोगी भी बनाता है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों एवं प्रसंगों के माध्यम से आयुर्वेद के ज्ञान के प्रति जागरूक रहने की समझाइश दी। उन्होंने कहा कि जैसा हम भोजन ग्रहण करते हैं उसी तरह का हमारे मन का विकास होता है, अत: अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. दीपक कुलश्रेष्ठ, संभागीय आयुष अधिकारी डॉ. अरविंद तिवारी, प्रोफेसर डॉक्टर एसएन तिवारी, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. दिनेश पाठक, डॉ. केपी शर्मा, डॉ. केके गौतम सहित आयुर्वेद महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएं तथा आमजन उपस्थित थे।