धान को कंडवा रोग से बचाने प्रभावी उपाय करें – कमिश्नर डॉ. भार्गव

कमिश्नर ने कृषि विभाग के अधिकारियों को दिये क्षेत्र में भ्रमण करने के निर्देश

रीवा 26 अक्टूबर 2019. कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कृषि विभाग के अधिकारियों से धान को कंडवा रोग से बचाने के प्रभावी उपाय करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि पूरे मध्यप्रदेश एवं समीपी राज्यों के साथ-साथ रीवा संभाग में भी धान में कंडवा रोग का प्रकोप अधिक दिखाई दे रहा है। धान में लगने वाले इस रोग को प्रारंभिक अवस्था में प्रभावी नियंत्रण करना जरूरी रहता है। अन्यथा यह पूरी फसल को प्रभावित कर सकता है। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने संयुक्त संचालक, उप संचालक एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में दौरा कर कंडवा रोग के संबंध में किसानों को समझाईश देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि गांवों में चौपाल, संगोष्ठियां एवं कार्यशालाएं आयोजित कर किसानों को जानकारी प्रदान करें तथा की गई कार्यवाहियों से अवगत करायें। धान में कंडवा रोग से बचाव के लिए दवाइयों का छिड़काव करायें। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों को धान में लगने वाले कंडवा रोग की स्थिति पर सतत नजर बनाये रखने के भी निर्देश दिये हैं।
इस संबंध में कृषि महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी जोशी ने बताया कि धान में कंडवा रोग लगने का मूल कारण मौसम में लगातार परिवर्तन होना है। धान में जब दाना भरने की स्थिति होती है तभी इसका प्रकोप अधिक होता है। साथ ही बोनी के समय बीज उपचार उचित कवकनाशी से नहीं करने के कारण भी इस रोग की संभावना बनी रहती है। कंडवा रोग को फाल्स स्मट रोग भी कहते हैं। यह आष्टीलागो प्रजाति के कवक द्वारा फैलता है। शुरूआत में धान की बालियों में दाने के स्थान पर हल्की छोटी-छोटी, पीली हल्दी जैसी गांठे बनती हैं जो बाद में काले रंग की हो जाती हैं और इनसे काले रंग का पाउडर उड़ता है।
उन्होंने बताया कि कृषक बंधु धान में लगने वाले कंडवा रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए कवकनाशी प्रॉपिकॉनाजोल 25 ईसी की लगभग दो सौ से ढाई सौ एमएल मात्रा प्रति एकड़ दो सौ लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा ट्राईसाईक्लाजोल 75 प्रतिशत दवा की 130 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ दो सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें अथवा हेक्सा कोनाजोल 5 प्रतिशत दवा का चार सौ एमएल प्रति एकड़ की दर से दौ सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इन दवाओं के उपलब्ध नहीं होने पर टेबुकोनाजोल का छिड़काव करें। किसान भाई चाहें तो धान की कंडवा रोग से प्रभावित बालियों को सावधानी पूर्वक निकालकर नष्ट भी कर सकते हैं। भविष्य में यह रोग न लगे इसके लिए बोनी से पहले बीजों का जैविक या रासायनिक विधि से उपचार अवश्य करें। आने वाली रबी की फसलों गेंहू, चना, मसूर आदि बोने से पहले इनके बीजों को जैविक या रासायनिक विधि से उपचार अवश्य करें।

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