नैतिक मूल्यों के बिना शिक्षा अधूरी है – कमिश्नर डॉ. भार्गव
शिक्षक दिवस पर कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में कार्यक्रम आयोजित
रीवा 05 सितम्बर 2019. शिक्षक दिवस के अवसर पर कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम रीवा में संभागीय अकादमिक गुणवत्ता सुधार कार्ययोजना का शुभारंभ एवं शिक्षक सम्मान समारोह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए कहा कि बच्चे की पहली गुरू उसकी माँ होती है। उन्होंने अपनी पहली गुरू माँ को नमन किया एवं कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि शिक्षा सिर्फ किताबों का ढेर नहीं है बल्कि यह हमारी बुद्धि को प्रशस्त करती है। शिक्षा व्यक्ति के संस्कार तथा आत्मबल को बढ़ाती है। शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए निर्णायक शक्ति है। आज के परिवेश में शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों का होना जरूरी है। इनके बिना शिक्षा अधूरी है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि राष्ट्र की असली दौलत उसके नागरिक हैं। जिस दिन हमारे शिक्षक सही अर्थों में अपने दायित्व के प्रति समर्पित हो जायेंगे तो दुनिया में शांति कायम होगी। आवश्यकता इस बात की है कि हम छात्र-छात्राओं में जिज्ञासा पैदा करें। हमारा आचरण और व्यवहार विद्यार्थियों को बहुत प्रभावित करता है। उन्होंने सम्मानित हुए शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान मेहनत, लगन और निष्ठा से ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन निष्ठा के साथ करें। उन्होंने कहा कि जो प्रयास शिक्षक कर रहे हैं उन्हें और अधिक बेहतर करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् डॉ. कृपाशंकर तिवारी ने कहा कि शिक्षक को समाज में गरिमा की दृष्टि से देखा जाता है। उन्होंने शिक्षकों के पांच प्रकार समझाते हुए कहा कि भगवान कृष्ण से अच्छा शिक्षक आज तक कोई नहीं हुआ और न ही होगा। हमें अपना आत्मावलोकन कर शिक्षक के दायित्वों का अच्छी तरह निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न नवाचारों के माध्यम से विद्यार्थियों को ज्ञान देने की कोशिश करें। हमारी शिक्षा कौशलपूर्ण होगी तो बेरोजगारी खत्म करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा में निजीकरण होना कोई बुराई नहीं है लेकिन इसका व्यवसायीकरण न हो। शिक्षा को ऐसा बनायें जिससे बच्चे स्वत: ही खुशी से स्कूल जायें। इसी तरह उन्होंने अपने अन्य बहुमूल्य सुझाव दिये।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षक दिवस भारत में ही नहीं वरन पूरे विश्व में अलग-अलग तिथियों में मनाया जाता है। जैसे-जैसे समाज में प्रगति होती गई शिक्षा का स्तर और आवश्यकता बदलती गई। शिक्षक का दायित्व अपने आप में बहुत ज्यादा है। आज हमारे देश में जो प्रगति हुई है उसके पीछे शिक्षकों का हाथ होता है। समाज ने जो दायित्व सौंपा है उसे पूरी तरह निभाने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि जिले में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए निरंतर प्रगति जारी है। इसके परिणामस्वरूप वर्तमान में हमारा जिला 47वें स्थान से 19वें स्थान पर आ गया है। शिक्षकों का पहला कार्य है कि वे बच्चों के मन में सीखने के लिए जिज्ञासा पैदा करें। अच्छे शिक्षक को भगवान कृष्ण की कही हुई बातें याद रखना चाहिए।
कार्यक्रम में इससे पूर्व छात्राओं द्वारा गुरू वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। स्वागत उद्बोधन जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल ने दिया। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण अंजनी कुमार त्रिपाठी ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में सेवानिवृत्त शिक्षकों हीरालाल पटेल, रंगनाथ, ओंकारनाथ पाण्डेय, सत्यनारायण पाण्डेय, रामकृष्ण गुप्ता सहित कई अन्य शिक्षकों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में दक्षता उन्नयन एवं ब्रिज कोर्स के प्रमाण-पत्र वितरित किये गये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन डाइट प्राचार्य श्यामनारायण शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य वरूणेन्द्र प्रताप सिंह ने किया।