साहित्य के बिना समाज का अस्तित्व अधूरा है – कमिश्नर डॉ. भार्गव
केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक दो में आयोजित हुआ साहित्य उत्सव
रीवा 30 अगस्त 2019. जिसमें सभी का हित हो उसे साहित्य कहते हैं। साहित्य संपूर्ण मानवीय कल्याण और समाज से जुड़ा होता है। जिस तरह हम शरीर को प्राणों से अलग नहीं कर सकते हैं उसी तरह साहित्य को समाज से अलग नहीं किया जा सकता है। यह विचार कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक दो में आयोजित राष्ट्रीय एकता पर्व के अंतर्गत साहित्य उत्सव कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम में सतना संकुल के सात केन्द्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा आयोजित इस साहित्य उत्सव कार्यक्रम से उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलेगा। यह कार्यक्रम उनकी रचनात्मक एवं सृजनात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। केन्द्रीय विद्यालय संगठन का यह प्रयास सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि साहित्य के बिना समाज की प्रगति रूक जाती है एवं इसके बिना समाज का अस्तित्व अधूरा है। साहित्य से ही किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति जीवित रहती है। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनकी सभ्यता और संस्कृति समृद्ध साहित्य नहीं होने से अस्तित्व विहीन हो गईं। हमारी संस्कृति में राष्ट्रीय एकता और अखंडता देखने को मिलती है। भारत महासागर की तरह है जो अपने आप में कई संस्कृतियों और सभ्यताओं को समेटे हुए हैं। हमारे देश की संस्कृति लंबोदर की तरह है। संस्कृति हमारी धरोहर और विरासत है। इसलिए अपनी संस्कृति के प्रति त्याग और बलिदान का भाव रखकर सदैव कार्य करना चाहिए।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि साहित्य हमें दिशा देता है। कलम की ताकत तोप एवं तलवार से भी अधिक होती है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद एवं ओमकारनाथ ठाकुर आदि साहित्यकारों के उदाहरण देकर कलम की ताकत को समझाया। उन्होंने कहा कि साहित्य एक कला है। कला के प्रति हम सभी में अनुराग का भाव होना चाहिए। उन्होंने छात्र-छात्राओं को जीवन में हमेशा उत्कृष्ट कार्य करने की समझाइश दी। उन्होंने कहा कि जिंदगी संग्राम की तरह है। इसलिए कठोर परिश्रम, लगन और निष्ठा से अपने कार्यों को अंजाम देना चाहिए। कामयाबी हमें संयोग से नहीं मिलती है बल्कि इसके लिए पूरी कार्य योजना बनाकर निरंतर मेहनत करने की जरूरत होती है।
कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय सिंह ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। छात्राओं ने भारतीय संस्कृति पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया। साथ ही स्वागत गीत एवं सरस्वती वंदना भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में कुल 126 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित हुए केन्द्रीय विद्यालय सिंगरौली के प्राचार्य सुजीत सक्सेना, केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक दो के शिक्षक एसके तिवारी, एसके मिश्रा, बीके तिवारी, रेखा शर्मा सहित संकुल के 7 केन्द्रीय विद्यालयों से पधारे शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।