स्तनपान के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास करना जरूरी – कमिश्नर डॉ. भार्गव
संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय में विश्व स्तनपान सप्ताह का समापन कार्यक्रम आयोजित
रीवा 08 अगस्त 2019. कमिश्नर रीवा संभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव के मुख्य आतिथ्य में प्रति वर्ष एक से 7 अगस्त तक मनाये जाने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह का समापन कार्यक्रम संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय के सभा कक्ष में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित स्टाफ, नर्सो एवं पैरामेडिकल स्टाफ को संबोधित करते हुये कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है। हमने जल, थल एवं नभ तीनों क्षेत्रों में बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर लिये हैं फिर भी स्तनपान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कार्यशालाएं एवं कार्यक्रम आयोजित करना पड़ रहे हैं यह हमारी कार्य क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। स्तनपान बच्चों के लिए अतिआवश्यक है स्तनपान के अभाव में बच्चे आगे चलकर कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जन्म से लेकर 6 माह तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराना चाहिए। माँ का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है जो हर मॉ को बच्चे को जन्म देने के बाद शुरू के तीन दिन तक निकलता है। इसका सेवन कराना बच्चे के लिए बहुत लाभदायक है। समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों एवं अन्धविश्वासों को भूलाकर 6 माह तक बच्चे को माँ का दूध ही पिलना चाहिए। माँ के दूध में पानी की भी पर्याप्त मात्रा मौजूद रहती है। इसलिए स्तनपान के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने के लिए सक्रियता से प्रयास करना जरूरी है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं इनके शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए स्तनपान कराना जरूरी है। स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अगर बच्चों को स्तनपान नहीं कराया जायेगा तो बच्चे कुपोषित होंगे। इसका प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि बच्चे के जन्म लेने के एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान जरूर कराएं। माँ का गाढ़ा पीला दूध जिसे कोल्स्ट्रम भी कहा जाता है यह कोल्स्ट्रम कई बीमारियों को होने से रोकता है। यह बच्चों के लिए अमृत समान है। बच्चों को छ: माह के पश्चात अतिरिक्त आहार भी देना चाहिए। उन्होंने कहा कि माताएं अपने बच्चों को दो वर्ष तक स्तनपान जरूर कराएं। स्तनपान के प्रति हमें नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता लाने का कार्य करना चाहिए। स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाना मानवीय कल्याण का अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि हम जैसा काम करते हैं वैसा ही फल मिलता है। जिंदगी गूंज की तरह है, इसलिए हमें इस मानवीय कल्याण के अनुष्ठान में योगदान करने के लिए पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्तनपान का प्रतिशत बढ़ाने से शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जन्म लेने के पश्चात एक घंटे के भीतर यदि सभी बच्चों को स्तनपान करा दिया जाय तो शिशु मृत्यु दर में 22 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चों का स्वास्थ्य ठी रखने के लिए संपूर्ण टीकाकरण एवं विटामिन ए का घोल पिलना भी जरूरी है। स्तनपान कराने वाली माँ में गर्भाशय का स्तन का कैंसर तथा अन्य बीमारियां होने की संभावना नहीं रहती है। स्तनपान एवं प्राकृतिक गर्भनिरोध की भांति कार्य करता है।
कार्यक्रम में डीन मेडिकल कॉलेज डॉ.पीसी. द्विवेदी, डॉ. नरेश बाजाज, डॉ. एच.पी. सिंह, डॉ. ज्योति सिंह, डॉ. एन.पी. पाठक, डॉ. सुधाकर सिंह, डॉ. ए.एस. बंसल, डॉ. करण जोशी सहित अन्य चिकित्सकगण एवं स्टाफ नर्स आदि मौजूद थे।