संघर्ष और त्याग की प्रतिमूर्ति थे यमुना प्रसाद शास्त्री जी – उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल
पूर्व सांसद यमुना प्रसाद शास्त्री की पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी का आयोजन सम्पन्न
रीवा 20 जून 2018. पूर्व सांसद यमुना प्रसाद शास्त्री की पुण्यतिथि पर आज रीवा के नेत्रहीन विद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन कर उन्हें स्मरण करते हुए वक्ताओं ने श्रृद्धासुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित प्रदेश के उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि शास्त्री जी संघर्ष और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने राजनीति को सेवा का साधन बनाया। अपने सिद्धांत के प्रति अटूट निष्ठा उनके जीवन का अनुकरणीय आदर्श है। शास्त्री जी जीवटता व कर्मठता के प्रतीक थे, गरीबों के सहारा थे। वह व्यक्ति नहीं वरन एक पूर्ण संस्था के रूप में स्थापित थे। वाणी और कर्म का सामन्जस्य, रहन-सहन की सरलता उनके उच्च विचारों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। समर्पण, त्याग व तपस्या उनके व्यक्तित्व की पहचान थी।
उद्योग मंत्री ने शास्त्री जी को भावसुमन अर्पित करते हुए कहा कि कहीं भी शास्त्री जी का जिक्र विन्ध्यवासियों का सर गर्व से ऊंचा उठा देता है। उन्होंने सांसद के तौर पर लोकसभा में जो विकास के मुद्दे उठाये थे वह आज फलीभूत हो रहे हैं। बाणसागर बांध का निर्माण, रेलवे लाइन विस्तार, हवाई मार्ग से रीवा का जुड़ना जैसे शास्त्री जी की परिकल्पनाएें आज साकार हो रही है। उनके प्रति सच्ची श्रृद्धांजलि यही होगी कि विन्ध्य के लोग अपनी तरफ से विकास के लिये हर संभव प्रत्यत्न करें।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद जनार्दन मिश्रा ने कहा कि शास्त्री जी ओजस्वी वक्ता, कर्मठ नेता थे। वह वाकवीर नहीं कर्मवीर थे। उनकी वाणी में उनका कर्म बोलता था। उनकी कर्मठता विचार धारा में मूर्तमान होती थी। सत्ता की राजनीति से वह कोसों दूर रहे। नेत्र ज्योति विहीन हो जाने के बाद भी वह दीन-हीन की सेवा में लगे रहते थे। शास्त्री जी की तत्परता, लगन व समर्पण का भाव किसी भी सामाजिक कार्यकर्ता के लिये आदर्श उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कष्ट सहकर राजनीति करने वालों में शास्त्री जी का नाम सर्वोपरि है।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल ने कहा कि शास्त्री जी जन्मान्ध नहीं थे। देश की आजादी व गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने में उनकी एक आंख चली गई। दूसरी आंख उनके लगातार अनशन/उपवास करने से गई। उन्होंने अपनी विकलांगता को एक चुनौती के रूप में लिया। उनकी प्रबल इच्छाशक्ति व आत्मविश्वास बड़ी-बड़ी आंख वालों से टक्कर देती थी। गांधी जी के बाद वह सबसे ज्यादा अनशन उपवास करने वाले नेता थे। राजनीति में सुचिता व संघर्ष का जिक्र होगा तो शास्त्री जी का स्थान सर्वोपरि रहेगा। विचार गोष्ठी में विभिन्न वक्ताओं ने अपने संस्मरण सुनाते हुए शास्त्री जी को याद किया। इस दौरान पूर्व संसदीय सचिव राजेन्द्र मिश्रा, देवेन्द्र पाण्डेय बेधडक, देवेन्द्र शास्त्री, जगजीवनलाल तिवारी, प्राचार्य नेत्रहीन विद्यालय, राजेश पाण्डेय सहित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।