केन्द्रीय कैबिनेट ने लिए कई अहम फैसले,15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी

केन्द्रीय कैबिनेट ने कई अहम फैसले लिये हैं जिसके तहत 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है तो सार्वजनिक उद्यमों में काम कर रहे कर्मचारियों की वेतन समीक्षा सीपीएसई कंपनियां से कराने की अनुमति भी दी है। इसके अलावा कैबिनेट ने न्यायाधीशों का वेतन बढ़ाने और प्रधानमंत्री महिला शक्ति केन्द्र स्थापित करने का भी अहम फैसला लिया है।

कैबिनेट ने एक अहम फैसले में सीपीएसई यानी केन्द्र की सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को उनके कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा की छूट दे दी है। अब पीएसयू कंपनियां अपने कर्मचारियों का वेतन और सुविधायें बढ़ा सकेंगी। लेकिन इसके खर्च को कंपनी को खुद ही वहन करना होगा। साथ ही यह भी कि यह वेतन कंपनी में काम कर रहे अधिकारियों या एक्जीक्यूटिव से अधिक नहीं होना चाहिये। सरकार ने इस विषय पर विचार के लिये पहले ही कमेटी गठित की थी जिसने कर्मचारियों से कई दौर की बातचीत की थी। सीपीएसई के भीतर तकरीबन 320 कंपनियां आती हैं। इस फैसले से सार्वजनिक क्षेत्र के में काम कर रहे 9 लाख 35 हजार पीएसयू कर्मचारियों को राहत मिलेगी।

कैबिनेट ने 15वें वित्त आयोग के गठन को भी मंजूरी दे दी है। आयोग के गठन और तमाम प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद उसकी सिफारिशों को अप्रैल 2020 में पेश किया जायेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि नई आर्थिक नीतियों को देखते हुये 15वां वित्त आयोग कई मायनों में अलग होगा।

एक अन्य अहम फैसले में कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते और पेंशन सहित अन्य सुविधाओं को भी बढ़ाने का फैसला लिया है। इससे संबंधित बिल संसद के आगामी सत्र में पेश किया जायेगा। बढ़ा हुआ वेतन 1 जनवरी 2016 से लागू होगा। इसके साथ महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री महिला शक्ति केन्द्र की स्थापना का भी फैसला लिया गया है। इसमें 30 हजार 636 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं, 190 महिला छात्रावास, डिजिटल साक्षरता जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।

कैबिनेट ने आतंकवाद और संगठित अपराध से लड़ने के लिये रूस से समझौते को भी हरी झंडी दे दी है। इसके तहत भारत और रूस के बीच आतंकवाद के सभी स्वरूपों एवं संगठित अपराध से निपटने में सहयोग संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर होंगे । गृह मंत्री राजनाथ सिंह की 27 से 29 नवंबर तक होने वाली रूस यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर हो सकते हैं ।गौरतलब है कि भारत और रूस का आपसी हितों के मामले पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करीबी सहयोग का लम्बा इतिहास रहा है । दुनिया में आतंकवाद और संगठित अपराध के बढ़ने के साथ यह जरूरी हो गया है कि सभी देश मिलकर आतंकवाद के सभी स्वरूपों का मुकाबला करें ।

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