नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर महात्मा गांधी का अपमान कर रही है कांग्रेस – राजेन्द्र शुक्ल

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर महात्मा गांधी का अपमान कर रही है काग्रेस- राजेन्द्र शुक्ल

सतना 03 जनवरी 2020. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जो भ्रम फैला रहे हैं, उसे दूर करने और कानून की सच्चाई जनता को बताने के लिए भारतीय जनता पार्टी जन जागरण अभियान चला रही है। इसी अभियान के अंतर्गत शुक्रवार को भाजपा के जिला कार्यालय में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया, जिसे पार्टी वरिष्ठ नेता मध्यप्रदेश शासन के पूर्व मंत्री रीवा के लोकप्रिय विधायक श्री राजेन्द्र शुक्ला ने संबोधित किया तथा कानून के संबंध में विरोधियों द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार का जवाब दिया।
उन्होंने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 12 दिसम्बर 2019 को विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बना। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए लोग भारत के नागरिक बन सकेंगे। स्वाभाविक है, जिनकी धार्मिक प्रताड़ना हुई है, वो लोग उन देशों के अल्पसंख्यक हैं। ऐसे सभी लोग जो 31 दिसम्बर 2014 से पूर्व भारत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें नागरिकता दी जाएगी। पहले यह प्रावधान 11 वर्षों का था और अब 5 वर्षों की निवास अवधि प्रमाणित करनी होगी। मोदी जी की सरकार ने तो केवल वही काम किया है, जिसका आदेश महात्मा गांधी ने 26 सितम्बर 1947 को दिया था। गांधी जी की इच्छा को कानूनी जामा पहनाने का काम भाजपा ने किया है। गांधीजी ने कहा था-पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू,सिख ,जैन,बौद्ध, पारसी ईसाई हर नजरिए से भारत आ सकते हैं, यदि वह वहां निवास नहीं करना चाहते। उन्हें नौकरी देना, उनके जीवन को सामान्य बनाना, भारत सरकार का कर्त्तव्य है। बड़े दुख की बात है कि कांग्रेस सहित वे सभी दल जो नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर देश में आग लगाना चाहते हैं, वे गांधीजी का भी अपमान कर रहे हैं। विरोध करने वालों के पास इस बात का क्या जवाब है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी जो आज 3.7 प्रतिशत रह गई है। इसी प्रकार बांग्लादेश में 22 प्रतिशत थी जो आज 7.8 प्रतिशत  रह गई है। इसके उलट भारत में मुस्लिमों की संख्या 9.8 प्रतिशत थी, जो आज 14 प्रतिशत हो   गई है। श्री शुक्ला ने कहा कि इस कानून से भारत के मुस्लिम भाइयो को कोई दिक्कत नही होगी ।मानवता के आधार पर इस कानून का स्वागत होना चाहिए।

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