बालश्रम प्रथा समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करना जरूरी – श्रमायुक्त

बाल मजदूरी सभ्य समाज के लिए कलंक है – कमिश्नर डॉ. भार्गव

रीवा 06 सितम्बर 2019. श्रमायुक्त आशुतोष अवस्थी मध्यप्रदेश शासन की अध्यक्षता में संभाग स्तरीय बाल श्रम उन्मूलन कार्यशाला होटल समदड़िया में आयोजित की गई। कार्यशाला में रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव, श्रम पदाधिकारी मोहन सिंह ठाकुर सहित संभाग के सभी जिलों से आये संबंधित विभागों के अधिकारी एवं स्वयंसेवी संगठनों के लोग भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्रमायुक्त ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य है कि हम अपने दायित्व का निर्वहन अच्छी तरह करें। बालश्रम प्रथा को समाप्त करने के लिए यह जरूरी है कि हम सब मिलकर प्रयास करें और अपने कत्र्तव्य से विमुख न हों। उन्होंने कहा कि 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग का बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे इसके लिए शासन ने प्रावधान किये हैं। 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आंगनवाड़ी की सुविधायें प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हर जिले में एक जिला टास्क फोर्स कमेटी बनी हुई है जिसकी हर माह बैठक होनी चाहिए। जिला नोडल अधिकारी को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
श्रमायुक्त ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन हेतु बनाये गये अधिनियम का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा कि यदि हर व्यक्ति का मन संकल्पित हो जाये तो बालश्रम उन्मूलन में मदद मिलेगी। बालश्रम संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस का दायित्व है कि इस पर कार्यवाही करें। पुलिस बिना किसी वारंट के इस पर कार्यवाही कर सकती है। श्रमायुक्त ने बाल कल्याण समिति के दायित्वों की जानकारी भी दी।
कार्यशाला में कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि जब तक बाल मजदूर हैं तब तक सभ्य समाज के लिए यह एक कलंक है। बच्चे ईश्वर का अनुपम उपहार हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर सभी देशों के संविधान में बच्चों के कल्याण, संरक्षण एवं संर्वधन के लिए अनेक प्रावधान किये गये हैं। बच्चे राष्ट्र के कर्णधार हैं। बच्चों को बालश्रम से रोकना मानवीय कल्याण का अनुष्ठान है। समाज में इसके लिए जागरूकता एवं चेतना होना जरूरी है। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि बालश्रम रूपी कुप्रथा को मिटाने के लिए सकारात्मक माहौल बनाने की जरूरत है। केवल कानून से इस कुप्रथा को मिटा पाना संभव नहीं है। इसके लिए समाज को आगे आना होगा और बच्चों की मुस्कान को राष्ट्र की परमहंस मुस्कान बनाने में सहयोग देना होगा। बाल श्रम उन्मूलन के लिए विभिन्न शासकीय विभागों एवं स्वयंसेवी संगठनों को मिलकर विचार करने की जरूरत है। कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि यदि हमारी साधना मजबूत होती है तो संसाधन अपने आप जुट जाते हैं।

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