राहुल का राफेल उड़ा नहीं मोदी का अगस्ता लैंड कर गया

अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाले का दलाल क्रिश्चन मिशेल जो ब्रिटिश नागरिक है 5 दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया ।दुबई से प्रत्यर्पण के तहत इस को भारत लाया गया है ।याद रहे कि यह हेलीकॉप्टर घोटाला छत्तीस सौ करोड़ का है ।सेना ने ज्यादा ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर की मांग की थी दलाली के चक्कर में कम ऊंचाई वाले हेलीकॉप्टर फाइनल कर लिए गए और इसी कमी को दलाली के रूप में रुपयों मे बदल दिया गया। यह डील पुरानी है यानी कि यूपीए के समय की अब एक डील हुई एनडीए के समय जिसमे राफेल डील की गई। राफेल बनाने वाली कंपनी द साल्ट का अनिल अंबानी की कंपनी से समझौता हुआ इसके तहत 30 हजार करोड़ का काम अनिल अंबानी की कंपनी को मिला।यह घोटाला राहुल की तरफ से बताया जा रहा है कि नियम अनुसार अंबानी की कंपनी को यह ठेका नहीं मिलना चाहिए। अंबानी की कंपनी को काम मिला है यह भ्रष्टाचार है। अगस्ता राफेल में अगस्ता डील रद्द हो चुकी है राफेल अभी देश को मिले नहीं है लेकिन चुनावी वर्ष में मोदी सरकार ने अगस्ता के बिचौलियों को भारत लाकर गांधी परिवार की ओर निशाना साधा है ।राहुल ने मोदी सरकार पर राफेल का आरोप लगाया है तो मोदी सरकार ने पूरे परिवार सहित पार्टी को घेरने के लिए अगस्ता के दलाल को लपेट लिया है। लेकिन यह लपेटना एक नूरा कुश्ती से ज्यादा कुछ नहीं होगा कुछ लोगों के नाम आएंगे हो सकता है कोई पुराना नेता मंत्री इस में लपेट दिया जाए जिसके  ऊपर आरोप लगे हो उसका प्रकरण भारतीय संविधान प्रदत्त अधिकार के तहत न्यायालय में चलेगा और सर्वोच्च न्यायालय तक प्रकरण के पहुंचते पहुंचते वह इस दुनिया से उड़कर दूसरी दुनिया में जा चुका होगा। यकीन मानिए अब लगभग भ्रष्टाचार मुद्दा नही रहा । मुद्दा यह रहता है कि किसको नहीं मिला और सही मुद्दा तो यह रहता है कि किस प्रकरण में कितना लाभ चुनावों में मिल सकता है। जिससे चुनाव में लाभ मिले वह सबकुछ  जिससे लाभ नहीं वह बेेकार। राफेल मुद्दे से कांग्रेस चुनावी लाभ लेना चाहती है तो अगस्ता से भाजपा लेगी।इस लिहाज से अभी भाजपा फायदे में चल रही है कांग्रेस सत्ता में ज्यादा रही है तो इनके कारनामें भी ज्यादा है और यही कारनामे भाजपा के लिए फायदेमंद हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस भी भाजपा के कारनामों को उजागर करती है कभी सफलता भी मिल जाती है। कुल मिलाकर जनता के सामने दोनों अपने अपने कारनामों को परोस रहे हैं जनता के ऊपर है कि उसको किसके कारनामे पसंद आते हैं।
अजय नारायण त्रिपाठी ” अलखू “
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